सुरेन्द्र बंसल
देवयानी प्रकरण में भारत और अमेरिका दोनों की भृकुटियां तनी हुई है, भारत के लिए उसकी इज्जत का सवाल है और अमेरिका अपने कानून की दुहाई दे रहा है। बीते चार पांच दिनों में इस मामले पर बहुत कुछ हो चुका है,लेकिन यह पहली बार हुआ है कि भारत ने अमेरिका को आँखें तरेर कर दिखाई है , अमेरिका ने सोचा था खेद जाहिर कर बात बन जायेगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं और भारत ने माफ़ी की मांग कर दी. अब अमेरिका अपने बचाव पर है और कह रहा है वह देवयानी पर से मुकदमे वापस नहीं ले सकता। खैर अमेरिका अपने आचरण में सुधार के पुख्ता इंतज़ाम तो कर सकता है।
अमेरिका में देवयानी के साथ जो कुछ भी हुआ , वह एक घटना मात्र नहीं है ,भारतीय संस्कारों और संस्कृति पर भी आघात है, अमेरिका अपने कानून के मुताबिक जो न्यायसंगत हो वह करे इस पर कोई आपत्ति होगी तो हम जवाब देंगें लेकिन इस भले देश को यह तो सोचना चाहिए कि वीसा नियमो पर कारवाई करते हुए वह बदसलूकी और पड़ताल के नाम पर बेहुदी जांच का क्या औचित्य है। नौकरानी को कानून सम्मत मेहनताना नहीं देने की जांच शरीर के भीतर तक कैसे जाती है ,कपड़ों के भीतर वह कौनसी चीज़ छिपी होती है जिसे अमेरिकी कानून के मुताबिक यह सिध्द कर दे कि संगीता रिचर्ड को दिया जा रहा मेहनताना इतना कम है कि वह कानूनन अपराध है। आश्चर्य हैं हर अपराध पर क्या अमेरिका में एक जैसी जाँच होती है।
निर्लज्ता एक असभ्य कृत्य है , महिलाओं के सन्दर्भ में या महिलाओं के प्रति आचरण में इस सम्बन्ध में बेहद संजीदगी होना चाहिए , लेकिन अमेरिका का कानून उसे निर्लज्ज बनाता है. महिलाओं के प्रति उसका आचरण असभ्य और अपमानजनक है। देवयानी प्रकरण पर नियमों के मुताबिक चाहे जो हो लेकिन देवयानी के साथ जो सलूक अमेरिका ने किया है वह भारतीय संदर्भ में बेहद निर्लज्ज कृत्य है जिसे माफ़ नही किया जा सकता। एक भारतीय राजनयिक जो देश के मिशन पर , कर्तव्य पर है उसके खिलाफ कारवाई करने के पूर्व उस देश को भी शिष्टाचार में सूचित किया जाना चाहिए यहाँ भी अमेरिका अशिष्ट व्यवहार का दोषी है। अमेरिका चाहे जो दलील दे , अपने को सही ठहराए लेकिन उसकी निर्लज हरकत उसे असभ्य करार देने के लिए काफी है।
दुःख इस बात का है कि इस मामले पर सख्ती करने वाले एक भारतीय मूल के प्रीत भरारा हैं , क्या भारतीय होने के नाते उनमें महिलाओं के प्रति आचरण का संस्कारित गुण नहीं मिला है ? और क्या दुनिया का सबसे बड़ा देश इतना असभ्य है कि महिलाओं के बेइज्जत करने में भी नहीं चुकता , शर्म करो अमेरिका और अमेरिकियों ,अतिथि देवो भव: के कुछ संस्कार हमसे लेते जाओ।
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