साठ पार मोदी के आने पर साठ पार नेताओं की होगी छुट्टी
मोदी आये
तो ये गए
देश की प्रमुख विपक्षी राजनैतिक पार्टी बीजेपी में जश्न है कि मोदी आ गए हैं और वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी के नैतिक विरोध के बावजूद। लेकिन सच यह है की मोदी अभी आये नहीं है अभी उनकी यात्रा शुरू हुई है यह यात्रा एक कवायद है २०१४ में सीट संख्या बढ़ाने की जिसका मोदी को महज नेतृत्व मिला और इस कवायद में मोदी कामयाब हो गए. यदि उन्होंने उतनी सीटें जुटा ली जिससे केंद्र में बीजेपी सत्ता पर काबिज़ हो जाए तब मोदी निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री होंगें लेकिन इस तरह मोदी वाकई आ गये तो बीजेपी की वर्तमान फ्रंट लाइन के नेता रसातल में चले जायेंगें याने उनकी उम्मीदें ख़त्म हो जायेगी ,ऐसे नेता साठ पार के हैं जबकि नरेन्द्र मोदी स्वयं भी साठ पार हैं।
लाल कृष्ण आडवाणी १९२७ में जन्में और ८६ साल के होने जा रहे हैं ,सुषमा स्वराज का जन्म 1952 को हुआ और वे 61साल की हो चुकी हैं ,१९५१ में जन्मे बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ६२ पार हो गए हैं ,मुरली मनोहर जोशी भी १९३४ में जन्मे और ८० पर पहुँच रहे हैं ,यशवंत सिन्हा १९३७ में जन्मे है और वे ७६ पार हो गए हैं ,१९५४ में जन्मे रविशंकर प्रसाद जरुर मोदी से छोटे है पर साठ पर जल्दी हो जायेंगें , वेंकैय्या नायडु १९४९ के हैं और ६४ के आगे जा चुके हैं। ये सब बीजेपी के फ्रंट लाइन नेता है जाहिर है बीजेपी का मोदी मिशन सफल होता है तो यह भी साफ़ है कि इन नेताओं के नेतृत्व के आसार हमेशा के लिए ख़त्म हो जायेंगें , यह स्थिति मोदी के प्रधानमंत्री बनने से उत्पन्न होगी क्योंकि उनके पी एम् बनाने से ये सभी नेता कोई सत्तर पार तो कोई अस्सी पार पहुँच जायेंगें और सब तब आज के लालकृष्ण आडवानी की स्थिति में आ जायेंगें। दिख रहा है मोदी के मनोनयन से बीजेपी की एक पौध नहीं ख़त्म हो रही बल्कि ऐसे ऊँचें पेड़ राजनैतिक कट जाने वाले हैं जिनकी ऊँची महत्वाकांक्षा हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी। तब ये नेता सिर्फ मोदी के केंद्र में सत्तासीन होने पर या तो राष्टपति ,उपराष्ट्रपति ,राज्यपाल जैसे गैर राजनैतिक पदों तक सीमित हो जायेंगें या मोदी के अधिनस्थ काम करने को मजबूर होंगें। यह बीजेपी के लिए चुनौती भले न हो लेकिन एक सक्षम नेतृत्व की पूरी लाइन का ख़त्म होना जरुर है।
इनकी उम्मीदें है बरकरार
बीजेपी के पास दूसरी लाइन के नेताओं की कोई कमी नहीं है और उसके पास नवागत नेतृत्व के लिए मोदी के बाद के लोग अभी से है जिसमे अधिसंख्य साठ के नीचे है , इन नेताओं में मप्र के सी एम् शिवराज सिंह चौहान जो फिलवक्त ५४ के हैं और १९५९ में जन्में हैं , राजीव प्रताप रूडी १९६२ के नौजवान नेता हैं सिर्फ ५२ साल के हैं ,शाहनवाज़ हुसैन भी सर्वाधिक तेजतर्रार और ४४ साल के युवा है ,नितिन गडकरी विवादित , आरोपित नेता जरुर हैं लेकिन महज ५७ साल के हैं उनका जन्म १९५७ का है कर्णाटक के नेता अनंत कुमार भी सिर्फ ५४ साल के के हैं और शिवराज की तरह १९५९ में जन्मे हैं। वहीँ अनुराग ठाकुर , वरुण गाँधी ,स्मृति ईरानी , सुशील मोदी , शत्रुघ्न सिन्हा और भी नेताओ की लम्बी फेहरिश्त है जो न केवल आज मोदी की विकास फौज के अधिकारी हो सकते हैं बल्कि भविष्य में नेतृत्व के लिए भी तैयार हो सकते हैं।
नरेन्द्र मोदी चुनाव में बीजेपी की सत्ता बनाने में कामयाब होंगें तब ये स्थितियां बनेगी , लेकिन बड़ी चुनौती यही है कि कैसे मोदी ११६ से २७२ के पार ले जायेंगें बीजेपी को. यह एक कठिन काम है हालाँकि मोदी को यूपीए की घोटालेबाज़ी वाली बदनामी से आसान दिखती है लेकिन समीकरण इतने ही होते तो बीजेपी मोदी की ताजपोशी की जल्दबाजी नहीं करती , हिन्दुत्व इसमे बीजेपी का छुपा हुआ मुद्दा है लेकिन मोदी शैली का विकास बीजेपी का खुला मुद्दा है , सेक्युलर मोदी की छबि पेश करने की कोशिश कर मुस्लिम मानसिकता में बदलाव लाना बीजेपी का दूसरा मुद्दा है और इस मुद्दे पर संघ भी काम कर रहा है। तमाम कोशिशों के बाद यदि मोदी कामयाब हो जाते है तो अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवानी के बाद बीजेपी में मोदी युग की शुरआत हो जायेगी। और असफल रहे तो बड़े नेताओं में पुराने चावल की तरह महक फिर कामयाब हो जाएगी ,नरेन्द्र मोदी आज एक प्रयोग बन गए हैं इसे राजनाथ की प्रयोग शाला कहें या संघ प्रमुख मोहन भगवत की लेकिन इसके परिणाम बीजेपी को बेहद असर करने वाले हैं।
आम चुनाव में बीजेपी का अब तक प्रदर्शन
साल | आम चुनाव | सीट जीती | परिवर्तन | % वोट | वोटों का झुकाव |
---|---|---|---|---|---|
1980 | 7वीं लोकसभा | 0 | 0 | 0 | 0 |
1984 | 8वीं लोकसभा | 2 | +2 | 7.74% | +7.74% |
1989 | 9वीं लोकसभा | 85 | +83 | 11.36 | +3.62 |
1991 | 10वीं लोकसभा | 120 | +37 | 20.11 | +8.75 |
1996 | 11वीं लोकसभा | 161 | +41 | 20.29 | +0.18 |
1998 | 12वीं लोकसभा | 182 | +21 | 25.59% | +5.30 |
1999 | 13वीं लोकसभा | 182 | 0 | 23.75 | –1.84 |
2004 | 14वीं लोकसभा | 138 | -44 | 22.16% | -1.69 |
2009 | 15वीं लोकसभा | 116 | -22 | 18.80% | -3.36% |
2014 | 16thवीं लोकसभा | TBD | TBD | TBD | TBD |
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