भय अरविंदम !
अरविन्द केजरीवाल जो कुछ कह रहे हैं ,कर रहे हैं वह कितना सही ,कितना गलत , कितना तथ्यात्मक है और उसके कितने मायने हैं इससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर आया एक बेहद साधारण सा आम आदमी भारतीय राजनीति के धुँरधरों की नाक में दम किये हुए है . सबसे बड़े राजनैतिक दल कांग्रेस की हालत सबसे ज्यादा खराब है जहाँ उसके सभी बड़े खिलाडी अरविन्द केजरीवाल से निबटने के लिए लगे हुए हैं . वहीँ बीजेपी भी अब केजरीवाल का सामना करने में लगी है जबकि बहुतेरे राजनातिक दल या तो केजरीवाल के पक्ष में है या विपक्ष में लेकिन लेकिन राजनीती के इस विशाल मैदान के हर भाग में आज जहाँ देखो वहां केजरीवाल ही केजरीवाल है .
अरविन्द केजरीवालके पास इन दिनों ऐसे कागजातों की भीड़ है जिसमे अनेक घोटालों का पर्दाफाश है या गड़बड़ियां हैं या खराब नियत से किये ऐसे काम हैं जिससे देश का नुकसान हुआ है . लोग अरविन्द के दफ्तर आकर खुद बता रहे हैं कहाँ ,कब और कैसे किसने कितनी गड़बड़ ,लफड़ा किया है किसने कैसे मामूली निम्न मध्यम वर्ग से वाले- वाले उच्च वर्ग में स्थान पा लिया ,ये अचानक ऊंची छलांग लगाने वाले लोग कौन है . इन बातों से सबसे ज्यादा राजनीति आहात हुई है . क्यों ? बात समूची राजनीति की कहीं नहीं है उस राजनैतिक व्यक्ति की है जिसने अपने पद पर रहते हुए या अपने प्रभाव से वह गैर कर्म किया है जिससे राष्ट्र और राष्ट् के लोगों का नुकसान हो रहा है .कह सकते कि जोश के अतिरेक में अरविन्द से किसी तरह की चुक भी हो रही हो .यह समझना जरुरी है कि बहाव में बहुत सी चीज़ें ऐसी भी बह जाती है जो जिनका किनारे पर रहना जरुरी है.अरविन्द की टीम सतर्क हो जब तक ऐसा हो जाए यह मुमकिन है , इसलिए इस जोश में कुछ तथ्य बिगड़ सकते हैं, कुछ सही -गलत ,बेमायने की बातें भी हो सकती है यह चलता रहेगा लेकिन मूल यह है कि अरविन्द केजरीवाल और उनके संगी साथी आज राजनीति को हिलोरें दे रहे हैं और हर कोई इससे आहत नज़र आ रहा है .
अरविन्द केजरीवाल ने जब अन्ना टीम से बाहर आकर राजनीति करने की बात की थी तब उनकी बहुत आलोचना हुई , हालांकि संसद के भीतर से ही तब अन्ना टीम को यह चुनौती राजनैतिक लोगों ने ही दी थी कि वे राजनीति आयें और संसद में बैठकर संवैधानिक बात करें अब जब अरविन्द केजरीवाल ने राजनीति के चुनौती पूर्ण विशाल मैदान में घुसने का मन बनाया और आगे बढ़े तो इन्हीं राजनैतिक दलों को पेट का दर्द शुरू हो गया . अरविन्द की ख़ास बात यह है कि वे बेबाक और निर्भयता से अपनी बात रखते हैं .यही वजह है कि कई लोग न केवल उनके दुश्मन हो जाते हैं बल्कि दुश्मनी भी शुरू कर देते है . दिग्विजय सिंह का पहले पत्र फिर 27 सवाल , सलमान खुर्शीद की धौंस डपट , और तीखे लहजे , बीजेपी नेताओं की खुननस ये सब अरविन्द को राजनीति में ख़ास बना देती है .
अरविन्द केजरीवाल राजनीति के धुरंधर नहीं हैं वाकई वे बिगड़ी व्यवस्था से रुष्ट ,खिन्न और क्रोधित एक आम आदमी हैं लेकिन इसी बिगड़ी व्यवस्था का नाम ही राजनीति है और इसी राजनीति ने उन्हें आम से ख़ास बना दिया है उन्होंने यह दिखा दिया है कि एक आम आदमी जब राजनीति में आ जाता है तो वह कितना भय उत्पन्न कर सकता है . अभी राजनीति में "भय अरविंदम" चल रहा है यह भय हर किसी राजनैतिक दल को सता रहा है आप देखिये हर खबर में ,और हर चैनल में ,हर चर्चा में , राजनैतिक लोग ,उनके राजनैतिक दल अरविन्द केजरीवाल से लड़ते , उन पर आरोप लगाते और उन्हें कोसते नज़र आ जायेंगें यही है " भय अरविंदम " !
सुरेन्द्र बंसल
आप जल्दबाजी मे ऐसी राय मत बनाइये, बहुत ध्यान से देखना होगा इन लोगों को। आज नहीं कल पता चलेगा कि ये कितनी बड़ी साजिश का हिस्सा हैं।
ReplyDeleteआम जनता को ही सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि नुकसान आम जनता का ही होगा...
mahendra srivastav ji dhanyawaad , mere blog par aane aur sarthak baat kahne ke liye ...
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