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Thursday, October 1, 2015

अंदाज़ अपना...................सुरेंद्र बंसल का पन्ना तब हो डॉ कलाम पुनर्जन्म

अंदाज़ अपना...................सुरेंद्र बंसल का पन्ना
तब हो डॉ कलाम पुनर्जन्म
बहुत सी बातें हैं जिसमें कलाम साहब का अपना अंदाज़ था। उन्होंने जिंदगी को अपने ढंग से जिया । हम में बहुत से या यूँ कहें हम सब जीवन यापन करते है मसलन उसे भोगते हैं व्यतीत करते हैं खर्च करते हैं । दरअसल हम जीवन का दर्शन नहीं जानते इसलिए हम केवल अपने लिए जिते हैं लेकिन जो लोग इस दर्शन को समझते हैं वे जीवन को देश ,राष्ट्र और समाज के लिए निवेश कर देते हैं जैसे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम साहब ।
मेरा यह पन्ना आज डॉ कलाम साहब का बिरला अंदाज़ बताने के लिए नहीं लिखा जा रहा इसलिए कि आसमां में स्थापित सूरज को देखकर यह नहीं कहा जाता कि देखो सूरज चमक रहा है। मैं आज सिर्फ उन विशिष्ठ लोगों से पूछना चाहता हूँ जो डॉ कलाम साहब की दूरदर्शिता, सहजता, वैज्ञानिकता, महानता आदि के कायल हैं और आज उनकी पार्थिव देह के सामने नतमस्तक खड़े हैं क्या वे देश के इस महान रत्न का अनुसरण करते हैं उनको फॉलो करते हैं ।
ऐसे बहुत से उदहारण हैं जब डॉ कलाम साहब ने रीतियों परम्पराओं से हटकर राष्ट्र ,समाज और जान हित में काम किये । सिर्फ दो उदाहरण देखिये एक-जब राष्ट्रपति बने रोज इफ्तार पार्टियों पर रोक लगाकर इस पर होने वाला व्यय अनाथालय में न केवल खर्च लिया अपितु स्वयं के पास से भी योगदान दिया । दो- राष्ट्रपति रहते हुए जब उनका पूरा कुनबा उनसे मिलने राष्ट्रपति भवन निवास में आया उन्होंने उसका पूरा हिसाब रखा और राष्ट्रपति भवन कार्यालय को इस व्यक्तिगत खर्च के साढे तीन लाख रुपये चुकाए। मेरा सवाल उन लोगो से है जो अतिविशिष्ट हैं डॉ कलाम की तारीफ़ करते नहीं थक रहे हैं क्या उन्होंने कभी डॉ कलाम को फॉलो करने की कोशिश की । नहीं की रोजा इफ्तार और ऐसी ही अनेक पार्टियां आज भी चल रही है, आप देश का पैसा आज भी अपने और अपने लोगों पर खर्च कर रहे हो और भी सैकड़ों बातें आपने अब तक कलाम साहब से नही सीखी हो , उनके जैसे नहीं बने पर उनके जैसे होने का जतन भी नहीं किया हो तो क्यों डॉ कलाम की तारीफ़ करते हो। किसी का गुणवान होना तो अच्छा है ही लेकिन उनके गुणों को अपनाना गुणगान से ज्यादा महत्वपूर्ण और जरुरी है। डॉ कलाम साहब की पार्थिव देह के समक्ष खड़े होकर सारे विशिष्ट भावों के कर्ता यह प्रण कर लें तो यह देश एक साथ कई डॉ कलाम का पुनर्जन्म देख सकता है तब ही आपकी श्रद्धा के सुमन खिल सकेंगें।
सुरेन्द्र बंसल

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