अंदाज़ अपना .........सुरेन्द्र बंसल का पन्ना.......
कलंक लगाये नहीं जाते
आलोचना ,विरोध,प्रतिकार सब जायज है लेकिन इस तरह नहीं क़ि वह आपकी सोच,दृष्टि और विचार को एक तरफा घोषित करे। व्यापम के मामले में सब एक तरफ चल रहे हैं फौजी की तरह जैसे सामने सीमा पार दुश्मन हथियार लेकर खड़ा है उसे मारना ही है। मुझे समझ नहीं आता शिवराज सिंह प्रदेश के मुखिया हैं तो क्या आप सारे आरोप उन पर जड़ देंगें । शिवराजसिंह सरकार की गलतियों को में नज़र अंदाज़ नहीं करना चाहता इसलिए भी कि इस घोटाले की खतरनाक करतूत उनके हो कार्यकाल में हुई है। मुझे आपत्ति है शिवराज को शव राज में प्रचारित प्रसारित करने से ।आप आलोचना में, विरोध में किस हद तक जायेंगें । भाई स्वस्थ आलोचना कीजिये,ये कोई खेल. मनोंरंजन,सनसनी की चीज़ नहीं है कि मुहावरे गढ़ कर मामले को संगीन बनाये। मामला चिंतनीय है इसे चिंतन से सही राह पर लाने की कोशिश पूरे ईमान से कीजिये। यह साफ़ होना ही चाहिए क़ि इतने आरोपियों की मौत कैसे हो रही है,क्या इन मौतों की वजह के पीछे गूढ़ रहस्य है। खोजिये भाई खोजिए सब मिलकर खोजिए ईमान से खोजिए, किसी को बख्शिये मत लेकिन आरोपों को संगीन मत बनाइये उसे खबर लायक बनाने की कोशिश मत कीजिये उसमें से खबर निकलने की कोशिश कीजिये।
शिवराज से तकिया कलाम शवराज बनता है तो इसे विहंगम प्रचार देकर अपनी बौध्दिकता को तो नीलाम मत कीजिये । जिस किसी ने शिवराज को शवराज कहकर प्रचारित किया है उसने एक बड़ा अपराध किया है। आपको पता नहीं है आप क्या कह रहे है। मप्र के मुखिया को शवराज बताकर प्रदेश को किस तरह की भूमि बता रहे हैं मुझे यह कहने की जरुरत नहीं है । न मेरा प्रदेश इस तरह का है और न ही मेरा प्रदेश चलाने वाले। आप क्या वाक़ई सोचते है क़ि व्यापम के 45 या आसपास की मौते किसी भी सरकार के लिए आसान है जो अब तक नहीं हुआ क्या वह इस प्रदेश में हो रहा है । भाई मामले की तह तक जाओ,इतने लोग मरे हैं तो खोजो भाई ऐसा कैसे हो रहा है यह खोज ही पत्रकारिता है। बातये 45 मौतों के बाद भी क्या कोई यह खोज सका है कि कौन जिम्मेदार है और क्या वाक़ई ये हत्याएं हैं ??? नहीं न फिर संयम होकर स्वतंत्र और निष्पक्ष खोज जारी रखिये शवराज कहने भर से कोई रहस्य नहीं खुल जायेंगे जो अपने आप लगते हैं वह कलंक होते हैं और जो कलंक लगाये जाते हैं उस पर आप खुद विचार कर लीजिये।
सुरेन्द्र बंसल
10:45 7.7.2015
शिवराज से तकिया कलाम शवराज बनता है तो इसे विहंगम प्रचार देकर अपनी बौध्दिकता को तो नीलाम मत कीजिये । जिस किसी ने शिवराज को शवराज कहकर प्रचारित किया है उसने एक बड़ा अपराध किया है। आपको पता नहीं है आप क्या कह रहे है। मप्र के मुखिया को शवराज बताकर प्रदेश को किस तरह की भूमि बता रहे हैं मुझे यह कहने की जरुरत नहीं है । न मेरा प्रदेश इस तरह का है और न ही मेरा प्रदेश चलाने वाले। आप क्या वाक़ई सोचते है क़ि व्यापम के 45 या आसपास की मौते किसी भी सरकार के लिए आसान है जो अब तक नहीं हुआ क्या वह इस प्रदेश में हो रहा है । भाई मामले की तह तक जाओ,इतने लोग मरे हैं तो खोजो भाई ऐसा कैसे हो रहा है यह खोज ही पत्रकारिता है। बातये 45 मौतों के बाद भी क्या कोई यह खोज सका है कि कौन जिम्मेदार है और क्या वाक़ई ये हत्याएं हैं ??? नहीं न फिर संयम होकर स्वतंत्र और निष्पक्ष खोज जारी रखिये शवराज कहने भर से कोई रहस्य नहीं खुल जायेंगे जो अपने आप लगते हैं वह कलंक होते हैं और जो कलंक लगाये जाते हैं उस पर आप खुद विचार कर लीजिये।
सुरेन्द्र बंसल
10:45 7.7.2015
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thanks for coming on my blog