अंदाज़ अपना ...............सुरेन्द्र बंसल का पन्ना
तो थेम्स का पानी काला हो जाए
तो थेम्स का पानी काला हो जाए
जब तब और लन्दन गया तब भी यही विचार आता था क़ि इन लुटेरों को शर्म नहीं आती हमारे देश को लूट कर सफेदपोश बने फिर रहे हैं क्यों नहीं कोई इन्हें याद दिलाता क़ि तुम लुटेरे हो लेकिन कहीं न कोई न कोई तो जाग रहा होता है । शशि थरूर ने जिस अंदाज़ में फिरंगियों को थप्पड़ लगाया है इसकी जितनी तारीफ की जाए कम है।
शशि थरूर के बारे में अपना भी ख्याल था क़ि वे सौंदर्य प्रेमी से ज्यादा कुछ नहीं है और जब इकॉनमी क्लास वालों को उन्होंने केटल क्लास कहा तो अपना गुस्सा भी सातवें आसमान पर था । सुनंदा मामले ने तो उन्हें कथित अपराधी भी बना दिया । लेकिन ब्रिटेन की जमीं पर शशि जिस अंदाज़ में बोले है निसंदेह उससे हम भारतीयों का सर गर्व से ऊँचा हुआ है।
शशि थरूर ने जतला दिया क़ि वे कोई रस्मी लीडर नहीं है यूँ ही राजनीति में नहीं आये है इसके पीछे उनका गहन अध्ययन है विचार है ।यह और बात है की कांगेस के शासनकाल में वे राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर उतने मुखर नही दिखे जितना वे इस बार लग रहे हैं । हो सकता है तब उन्हें अवसर नहीं मिला हो ।लेकिन उन्होंने 200 साल पुरानी संस्था के बीच जिस बेबाकी से भारतीय दर्द को बयाँ किया वह उनकी बहादुरी है निर्भीकता है और उन लोगों को इतिहास बताने का प्रयास है जो उपनिवेशवाद के जरिये विश्व के अधिकतम देशों को अपने बल से गुलाम बनाने की का काम करते रहे । थरूर ने यह बात ब्रिटेन में कही है तो निश्चित ही फिरंगियों के लिए शर्म की बात है।
शशि थरूर ने जो कहा वह अब तक आखिर किसी ने क्यों नहीं कहा । हमारे देश के नेता अब तक इस सच्चाई को विश्व के सामने रखने में कमज़ोर क्यों रहे। हमने 60 साल का कांग्रेस का शासन देखा है तो इतना ही विपक्ष भी देखा है । पता नहीं किस कुर्बानी का डर लगता रहा जो हम लुटेरों को लुटेरा नहीं कह सके ।
शशि थरूर के बारे में अपना भी ख्याल था क़ि वे सौंदर्य प्रेमी से ज्यादा कुछ नहीं है और जब इकॉनमी क्लास वालों को उन्होंने केटल क्लास कहा तो अपना गुस्सा भी सातवें आसमान पर था । सुनंदा मामले ने तो उन्हें कथित अपराधी भी बना दिया । लेकिन ब्रिटेन की जमीं पर शशि जिस अंदाज़ में बोले है निसंदेह उससे हम भारतीयों का सर गर्व से ऊँचा हुआ है।
शशि थरूर ने जतला दिया क़ि वे कोई रस्मी लीडर नहीं है यूँ ही राजनीति में नहीं आये है इसके पीछे उनका गहन अध्ययन है विचार है ।यह और बात है की कांगेस के शासनकाल में वे राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर उतने मुखर नही दिखे जितना वे इस बार लग रहे हैं । हो सकता है तब उन्हें अवसर नहीं मिला हो ।लेकिन उन्होंने 200 साल पुरानी संस्था के बीच जिस बेबाकी से भारतीय दर्द को बयाँ किया वह उनकी बहादुरी है निर्भीकता है और उन लोगों को इतिहास बताने का प्रयास है जो उपनिवेशवाद के जरिये विश्व के अधिकतम देशों को अपने बल से गुलाम बनाने की का काम करते रहे । थरूर ने यह बात ब्रिटेन में कही है तो निश्चित ही फिरंगियों के लिए शर्म की बात है।
शशि थरूर ने जो कहा वह अब तक आखिर किसी ने क्यों नहीं कहा । हमारे देश के नेता अब तक इस सच्चाई को विश्व के सामने रखने में कमज़ोर क्यों रहे। हमने 60 साल का कांग्रेस का शासन देखा है तो इतना ही विपक्ष भी देखा है । पता नहीं किस कुर्बानी का डर लगता रहा जो हम लुटेरों को लुटेरा नहीं कह सके ।
अब जब बात शुरू हुई है तो आगे तक जाना चाहिए। थरूर की बात थमें नहीं इस पर वाक़ई डिबेट चलती रहना चाहिए आखिर यह हमारे राष्ट्र की आवाज़ है । अंदाज़ बदलना नहीं चाहिए अपितु सख्त होना चाहिए। चलिए हम सब मिलकर इस आवाज़ को अपनी आवाज़ दें इतनी बुलंदी से क़ि थेम्स नदी का पानी शर्म से काला हो जाए।
सुरेन्द्र बंसल
11.50 23.7.2015
सुरेन्द्र बंसल
11.50 23.7.2015
No comments:
Post a Comment
thanks for coming on my blog