Tuesday, February 8, 2011 at 7:12pm
प्रकाश झा निर्देशित आरक्षण की शूटिंग में अमिताभ बच्चन , दीपिका पादुकोण और सैफ अली खान हरित भोपाल में जमे है. 'नूर उस सबाह' के आलिशान होटल में जहाँ उनका लंबा मंज़र है वहां कोई ज्यादा गहमा गहमी नहीं है. कुछ लोग वहां आ जाते हैं और जैसे तैसे झलक पाने का लंबा इंतज़ार करते हैं ... अमिताभ के प्रति लोगो का दीवानापन होना कहना मुझे लगता है गलत होगा... जो लोग अमिताभ का इंतज़ार करते हैं वे उन्हें दीवानी नज़र से नहीं देखते हैं.... इसमें मुझे महानायक का एक प्रभाव नज़र आता है जो यूँ ही नहीं बना है . यह अमिताभ के उस सफ़र का रोमांच है जो फिल्म 'आनंद' से चला था और जिसके पहले आज का यह कांक्रीट नायक नींव निर्माण के पहले की उस रेत की तरह था जो कंकरी की तरह इधर उधर ढुलक कर नए स्वरुप के लिए संघर्ष कर रहा था....
इस लिए कह सकते हैं जीवन के ६९वे साल में कोई व्यक्ति महानायक के मज़बूत स्वरुप में दिख रहा है तो यह उसका नैसर्गिक प्रभाव है... कोई नई नवेली हेरोइन यह कहती है की वह बिग बी के साथ एक फिल्म करना चाहती है तो उसके पीछे दीवानगी का रोमांस नहीं प्रभाव का रोमांच है.... कोई सागर जैसे छोटे शहर का युवक जिसके पास छत के नीचे रुकने और जीने केलिए खाना मिल जाये इतने पैसे नहीं है वह तीन दिन तक दिन रात सड़क पर पड़ा रहता है इस इंतज़ार में की अमिताभ आयेंगे तो वह उनके साथ फोटो खिचवायेगा ...... यह भी दीवानगी नहीं है यह भी एक कलाकार की क़द्र है... अमिताभ की सुरक्षा में लगे नौजवान साजिद शैख़ बतलाते हैं कि अमिताभ ने उसकी ख्वाईश पूरी की फोटो खिचवाया और फोटो की कॉपी की सी डी बनवा कर दी .... लोग इन सुरक्षा कर्मियों से बहुत मिन्नतें करते हैं कि किसी तरह एक फोटो खिंचवा दो और मिलवा दो , बहुत कम की यह ख्वाइश पूरी होती है ... पर जिनकी ख्वाईश कभी पूरी नहीं होती उनमे साजिद जैसे लोग हैं जो दिन रात उनकी सुरक्षा में लगे होते हैं , उन्हें चाहते हैं उनके साथ फोटो निकलवाना चाहते हैं लेकिन नहीं निकलवा पाते है ......
लेकिन नूर उस सबाह में वह आलम नहीं है जो शूटिंग साईट पर है .. अमूमन यहाँ शांति है ... कल शाम जब ट्रेक शूट में अमिताभ शूटिंग से लौटे तो वहां उन्होंने फोटो भी खिंचवाए और प्रशसकों से उपहार भी लिए...भावनाओं की क़द्र करते हुए....
@ जैसा मैंने देखा और महसूस किया...
स्थान ; नूर उस सबाह , शाम ६.३०