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Thursday, June 9, 2011

literacy

‎" साक्षरता "
गणित के अंकों और भाषा के शाब्दिक ज्ञान
से ही साक्षरता नहीं होती ,
व्यक्ति की साक्षरता उसके अंतर्मन से उपजती है
जो दान,दया ,ज्ञान ,सीख और अनुभव से प्राप्त होती है.
मन की वैचारिकता में दान- दया का भाव, ज्ञान की ललक,
सीख की इच्छा और अनुभव की योग्यता है
तो वह व्यक्ति साक्षर है.
सुरेन्द्र बंसल
16MARCH2003/ 2AM

suryoday

सूरज जब उदय होता है
तो निस्तेज , असहाय सा पड़ा मानव भी उठ बैठता है,
वह क्रियाशील होकर दिन की गति की ओर तेजी से चलने लगता है,
मानों किसी मशीन को ऊर्जा मिल गयी हो .
यह "सूर्योदय" का चमत्कार है
जो किसी और अविष्कार से संभव नहीं है .
जो इस उष्मा को जितना पाता है ,गतिमान होता है
वह सफलता प्राप्ति के उतना नज़दीक होता है ,
इसलिए सूर्योदय पूजनीय है ,
वंदन स्वरुप है !
सुरेन्द्र बंसल,
17march03 /11am
"बेकार सी बातों में जो समय गंवाते हैं,
वे 'समय' के आगे नहीं
समय के पीछे रह जाते हैं"
सुरेन्द्र बंसल
सोचों!
सोनम, शाहरुख़,सलमान और अब शिल्पा शेट्टी
सब बाबा के खिलाफ बद्काद्कर बोल रहे हैं , क्यों?
आगे और स्टार्स आयेंगें.
कहीं यह बाबा के खिलाफ स्टारडम का उपयोग तो नहीं?

सपने by Bansal Surendra



सपने
बनते हैं ,दिखते हैं,
बिगड़ जाते हैं ,
मेरी भी
निन्द्रायी आँखों में ,
अँधेरे को चीरकर
प्रकाश फैलता है,
बनता हुआ
कुछ दिखता है ,
सबेरा होते ही
बिगड़ जाता है सब ,
जैसे नींद
उड़ /बिगड़ जाती है,
मूर्छित से पड़े
शरीर में चेतना आ जाती है ,
मेरी धरती
पहचानी सी लगती है ,
और आकाश भी
उतना ही उंचा नज़र आता है
जितना कल था ,
लेकिन एक बनता हुआ
विश्वास कभी बिगड़ता नहीं
-सुरेन्द्र बंसल
रचित ओक्टोबर ४,२००२
‎" प्रेरणा "......


प्रेरणा वह गति है जो यह इच्छा उत्पन्न करती है कि आगे बढना चाहिए ...


प्रेरणा वह मार्ग है जो आपको स्व इच्छा से अपनी और बुलाता है...


प्रेरणा वह सोच है जो सहमति का इज़हार करती है...


प्रेरणा वह शिक्षा है जो ज्ञान का प्रस्फुटन करती है..


इसलिए प्रेरणा जीवन की नैतिक उर्जा है

सुरेन्द्र बंसल