पांच राज्यों में चुनाव प्रचार अभियान तेजी से गति पकड़ रहा है . उत्तरप्रदेश,उत्तराखंड, पंजाब,मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं लेकिन सब में उत्तरप्रदेश लोगो की नज़रों में, मीडिया की ख़बरों में और नेताओं की चाहत में सबसे ऊपर है .हालाँकि पंजाब और उत्तराखंड भी चर्चा में है फिर भी उत्तरप्रदेश के चुनाव एक मिनी आम चुनाव की तरह होते लग रहे हैं ,यहाँ होड़ जोड़ तोड़ का महा अभियान चल रहा है इसके आगे सारे लोक - मुद्दे गौण हो चले हैं .
उत्तरप्रदेश के चुनाव प्रतिष्ठा के चुनाव भी हैं और अपनी नाक बचाने के चुनाव भी है या यह कहे कि नाक बचाने के चुनाव ज्यादा है तो सही होगा. दरअसल यहाँ राजनीति के सेलेब्रिटी अपनी अपनी नाक को दांव में लगाए हुए है .और इनकी बहुतायत दूसरे चुनावी प्रदेशों से यहाँ ज्यादा है . उत्तरप्रदेश की स्थापित मुख्यमंत्री मायावती चाल चरित्र और तौर- तरीकों से स्वयं एक राजनीतिक सेलेब्रिटी बन चुकी है , सोनिया ,राहुल और प्रियंका की मौजूदगी राजनीति को ग्लैमरस बना देती है वहीँ बीजेपी की उमा भारती के पदार्पित होते ही चहलपहल गहम गहमी ज्यादा बढ़ गई ,मुलायमसिंह, राज बब्बर, जयाप्रदा ,अजित सिंह , अमरसिंह, दिग्विजयसिंह,सलमान खुर्शीद आदि उत्तरप्रदेश के ऐसे नाम है जो वहां राजनीति को वजन देते हैं .
इन सबके बावजूद उत्तरप्रदेश में आम लोगों से जुड़े मुद्दे गौण हैं .जोड़ तोड़ होड़ की राजनीति में राजनीतिज्ञ मसाला फिल्मों की तरह चुनाव में खेल और कहानी तैयार कर रहे हैं . कैसी कहानी , जाति वाद की कहानी , वर्ण वाद की कहानी ,लुभावने वादों की कहानी ,आरक्षण की कहानी ,हाथी की कहानी ,आदि . ऐसी कहानियां जिनका आम लोगों से वास्ता नहीं है, जो महंगाई की मार पर आधारित नहीं है , जो भ्रष्टाचार से जुडी नहीं है ,जो रोज़गार की व्यवस्था भी नहीं है ,जो विकास की धुरी भी नहीं है . किसी अजेंडे में ये प्रमुखता से न हो पर प्रचार से ये सब गायब है . फिलवक्त उत्तरप्रदेश राजनीतिज्ञों द्वारा ठगा जा रहा लगता है ऐसी ठगी जिसमे लालच से वोट कबाड़ लेने की नीति है , जिसमे चाल से सत्ता हथियाने की खुरपेंच है ,जिसमें कामयाबी सिर्फ एक होड़ है और सत्ता को अपनी लिमिटेड कम्पनी की तरह बना लेने की चाहत भर है.
बताएं जब अल्पसंख्यक आरक्षण की बात होती है . बुनकरों को सहायता देने की बात होती है ,जाति के आधार पर टिकट देने की बात होती है तब विकास ,महंगाई और पेट भरने की जुगाड़ के वायदे कौन याद रखता है ,किसी भी राजनैतिक दल में आज इन मुद्दों के प्रति गंभीरता नहीं दीख रही है सब किसी तरह चुनाव जीत लेने की जुगाड़ में हैं ,ऐसी जुगाड़ जिससे चुनाव आसानी से जीता जा सके , मायावती को अपनी सत्ता बचाने की चुनौती है , कांग्रेस को राहुल को स्थापित करने की चुनौती है और राहुल के साथ सोनिया और प्रियंका भी साथ है. .भाजपा को जाति गत समीकरणों से ताल बैठाने की चुनौती है इसलिए उन्होंने उमा भारती को आयत कर लिया है , मुलायम सिंह को अखिलेश यादव के लिए जगह बनाने की चुनौती है और अजीत सिंह को केंद्र में वर्चस्व बनाये रहने के लिए कांग्रेस का साथ निभाने की चुनौती है .
जाहिर है हर कोई चुनौतियों का सामना कर रहा है .इतनी चुनौतियों में नाक बचाने की जिम्मेदारी अपने आप आ जाति है इसलिए ये सारे लोग उत्तरप्रदेश में नाक बचाने की जुगत में लगे हैं और जहाँ नाक बचाना होती है वहीँ ताकत भी ज्यादा लगाना होती है इसलिए सबका जोर सबकी होड़ और सबकी ख्वाइश आज उत्तरप्रदेश है ,पंजाब ,उत्तराखंड,मणिपुर और गोवा इनसे कोसो दूर है .