बीजेपी के 32 साल हो गए . जनता पार्टी से अलग होकर बनी बीजेपी आज भी उस मुकाम पर नहीं पहुंची है जहाँ से सबसे बड़ी राजनैतिक चुनौती कांग्रेस को मुश्किलों में डाल सके ,
इतने सालों में बीजेपी ने अपने को मज़बूत किया किया और कई राज्यों में राज़ के हालात बना लिए आज बीजेपी में पीएम के लिए चर्चाएँ है लेकिन पीएम कैसे बने कैसे इसे अंजाम मिले इसके लिए बीजेपी इन 32 सालों में भी तैयार नहीं हो सकी है हालाँकि 33 वां साल उसके लिए केंद्र में राज़ करने के सपने लेकर आया है .
बीजेपी अपने समय में जब भारतीय जनसंघ थी तब उसका दीपक कम टिमटिमाता था लेकिन तब भी वह एक वैचारिक द्रष्टिकोण वाली पार्टी थी और उसके फ़ालोवर तैयार हो रहे थे वहीँ से यह पार्टी काडर बेस वाली पार्टी बन गयी .फिर भी बीजेपी उन तमाम कोशिशों में नाकाम रही जिससे वह केंद्र में अपने बूते पर सरकार बनाने में कामयाब हो सके . जनता पार्टी के शासन के दौरान ही मिलीजुली सरकार याने गठबंधन सरकार बनाने का प्रचलन चला .हालाँकि पहले भी अंतरिम सरकार बनी थी और जनसंघ के नेता भी पंडित नेहरु की सरकार में तब मंत्री बने फिर भी इंदिरा गाँधी के समय इमरजेंसी के भोगियों में सारा देश ही था ,और रुष्ट था ऐसे में जब छोटी छोटी पार्टियाँ एकमत से विरोध में उठ बैठी तो वह परिवर्तन आ गया जिसे सपूर्ण क्रांति के जनक जयप्रकाश नारायण ने संजोया था . यह समय विरोध और रुष्टता का था लेकिन बाद में ताल मेल का समय आया तो सब गड़बड़ हो गया तालमेल के नाम पर मोलतोल होने लगे और हर क्षेत्रीय दलों ने अपना रुतबा अपने छोटे छोटे अंकों से ही दिखाना शुरू कर दिया .यह देश की राजनैतिक दिशा का परिवर्तन था .
बीजेपी ने इसे भांप लिया लेकिन इसके लिए उसने या तो कोई नीति नहीं बनायीं या वह अपनी नीतियों में कारगर नहीं हुई . हालाँकि अटलजी के नेतृत्व में एनडीए जैसा मज़बूत गठबंधन देश को मिला बाद में यूपीए ने भी इसी रास्ते पर चल कर सरकारे चला ली .होना यह चाहिए था कि बीजेपी अपने को इस लायक बना लेती कि संख्यात्मक रूप से वह पूरे देश में नज़र आती .
32 साल एक लम्बा समय है इतने सालों में बीजेपी अपने को समान्तर राजनैतिक दल तो बना लिया लेकिन विस्तृत प्रतिनिधित्व वाला दल वह नहीं बना सकी . यह समय बीजेपी के लिए इसी का होना चाहिए . आखिर तमाम कोशिशों के बाद भी बीजेपी अपने को पूर्वोत्तर से पश्चिमोत्तर तक और सदर्न रीजन के तमाम प्रान्तों तक एक सी पैठ क्यों नहीं बना सकी . यह 32 सालों में नहीं कर सके फिर कब और कैसे यह सम्भव होगा यह मंथन बीजेपी को करना चाहिए कि राष्ट्र एक मज़बूत समानांतर राजनैतिक दल चाहता है
सुरेन्द्र बंसल
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