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Saturday, November 16, 2013

सच है सचिन !

सच है सचिन !
सुरेन्द्र बंसल 

यह सच है कि रत्न की  तरह भारत में और विश्व क्रिकेट में चमकते रहने वाले   सचिन अब क्रिकेट खेलते हुए नहीं दिखेंगें लेकिन यह भी सच है कि उनके करोडो फेंस कि आँखों से बरबस छलक पड़े आंसू भी उनसे भावनात्मक लगाव का जीवंत सच है। सचिन क्रिकेट की  एक ऐसी  सच्चाई रहे जिस सच का सामना सबने किया और सब उस सच से आनंदित होते रहे एक दो नहीं पूरे चौबीस साल तक।  सौ शतक, सैकड़ो रिकॉर्ड ,अद्भुत खेल , क्या नहीं था सचिन के पास।  यही वजह थी जब सचिन 74 रन बनाकर पवेलियन लौटे तो बरबस ही अपनी आँखें गीली हो गयी , उस व्यक्ति के लिए जिसे मैंने कभी भगवान् नहीं माना और न ही कभी भारत रत्न दिए जाने कि तरफदारी की।  दोनों ही बाते अपने को जायज नहीं लगी।

क्यों ? मेरा कहना है सचिन को एक सच रूप में देखो।  जैसा वह दिख  रहा है जैसा वह खेल रहा है ,जैसा वह कर रहा है सब कुछ इस जीवन का ऐसा सच है जिसे हम  महसूस कर रहे हैं ,आनंदित  हो रहे हैं और एक यथार्थ के रूप में देख रहे हैं फिर जब हम  सचिन को देख रहे हैं तो उसे सचिन ही रहने दो यही सच है।  किसी भगवान् को हमने कभी नहीं देखा है लेकिन सचिन को क्रिकेट खेलते इस तरह देखा है कि हमारा रोमांच चरम हो जाता है, सर गर्व से ऊंचा हो जाता है इसलिए सच यही है कि सचिन सचिन है जो सबसे बढ़कर  है। 

यह भी सच है कि सचिन अमोल रत्न है ,जिस तरह का क्रिकेट सचिन ने खेला है वह क्रिकेट की दुनिया के अनमोल रत्न है लेकिन भारत रत्न एक राष्ट्रीय अवार्ड है जो कई विधाओं और परिप्रेक्ष्य , अपरिमित राष्ट्रीय योगदान ,कला और विशिष्ठता के लिए ही दिया जाना चाहिए ,खेल महज एक हिस्सा है उसमे इतना बढ़ा सम्मान देखना शायद भारत रत्न की  महता को कम करना है , पद्म भूषण ,विभूषण ,खेल रत्न अवार्ड आदि सब हैं जो दिए ही जा रहे हैं ,दरअसल भारत रत्न को मैं  एक विशिष्ठ दर्ज़ा देता हूँ और उसके मापदंड बाहर सख्त और दृढ होना चाहिए इसलिए मेरा समर्थन कभी सचिन को भारत रत्न देने का नहीं रहा।  पर अब जब उन्हें इस सर्वोच्च भारतीय सम्मान से पुरस्कृत किया गया है तो समूचे देश के साथ जश्न मनाया जाना चाहिए। 

लेकिन सचिन में मौज़ूद एक अद्भुत खिलाडी की  सचाई को हम कभी नहीं नकार सकते ,सचिन ने खेल को जिस तरह जिया और जिस तरह प्रदर्शित किया यह हैरत की  बात है।  सचिन ने क्रिकेट से दिखाया कैसे कब आक्रामक होना चाहिए  , कब सुरक्षात्मक होना चाहिए , किस तरह का प्रबंध अपनी टीम के लिए अपने प्रदर्शन से करना  चाहिए और किस तकनीक से खेलना चाहिए , इतनी सचाई से रुबरु होना सचिन की  महानता है अब जब सचिन क्रिकेट में नहीं होंगें मैं सोचता हूँ वे तब भी क्रिकेट कि सेवा करते रहेंगें और देश के लिए अपने जैसे खिलाडी तैयार करने का एक और महँ काम शुरू करेंगें।  अलबिदा  नहीं कहेंगें सचिन , क्रिकेट सदा तुम्हारे साथ रहेगा और हम सब भी तुम्हारे साथ क्रिकेट जियेंगें। 

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