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Wednesday, December 18, 2013

शिव राज़ में हरि पूजा का महत्व

शिव  राज़ में हरि पूजा का महत्व 

शिवराजसिंह को मनो शपथ कि रफत पड़ती जा रही है उन्होंने तीसरी बार मप्र के मुख्मंत्री की शपथ ली है। शपथ लेते हुए वे अत्यंत भावुक हो चले , सीधे सरल स्वभाव के शिवराज राज़ को धर्म की  तरह ही चलाते रहे हैं सो उन्होंने कहा भी कि जनता उनकी भगवान् है और मप्र उनका मंदिर। लिहाज़ा वे मुख्मंत्री के नाते इस मंदिर के पुजारी हो ही गए , उन्हें बधाई इस बात की कि उन्होंने इस सर्वोच्च प्रादेशिक प्रतिष्ठा को सरल और साधारण भाव से अंगीकार किया।

शिवराज की विशेषता है कि वे अपनी ऊंचाई को कभी नापते नहीं और दूसरों को बराबरी या अपने से ऊंचा ही देखते हैं सो परिणाम भी उन्हें मिल रहे हैं और जनता उन्हें ऊंचाई पर स्थापित कर रही है , कह सकते हैं इसमे उनके अपने भाग्य का भी स्थान है और उनका भाग्योदय होना था तो उमा भारती फिर बाबूलाल गौर को  समय ने चलता कर उन्हें मप्र का भाग्य विधाता बना दिया। शिवराज सिंह १२ दिस २००८ को पहली बार मुख्यमंत्री बने तब लगता था एक नवयुवक से दिखने वाले को बीजेपी ने शायद भरपाई के लिए ही फिलवकत  का मुख्यमंत्री  बना दिया था तब बाबूलाल गौर से वह छबि नहीं उभर रही थी जो बीजेपी चाहती थी। बीजेपी का दांव सफल रहा और प्रदेश को एक ऐसा मुख्यमंत्री मिल गया जिसने न केवल खुद को स्थापित कर लिया बल्कि लोकप्रिय सरकार को भी स्थापित कर बीजेपी को मज़बूत आधार दिया। वे आज मप्र में सर्वाधिक दिन तक राज़ करने वाले नेता दिग्वियजय सिंह को पीछे छोड़ने की स्थिति में है और उनसे ज्यादा लोकप्रिय भी।

शिवराज सिंह ने आते ही अपनी महिमा दिखाई एक रु किलो चावल , गरीबो को जमीन के पटटे ,किसानो को फसलों का मुआवजा तत्काल घोषित कर दिया। घोषणापत्र के प्रति कटिबध्दता इसे कहते है और यही किसी भी नेता पहला गुणी कृत्य भी होना चाहिए। कह सकते हैं शिवराज २०१४ को देखते हुए तत्काल कदम उठा  रहे हैं मक़सद साफ़ है मोदी के लिए उनका अपना काम शुरू हो चूका है। लेकिन ठीक है न, काम करेंगें तब ही पुरस्कार मिलना चाहिए और वे तो उन्हें मिले अवसरों को पुरस्कार में बदल रहे हैं जो उनका हक़ और उनकी  नैतिक नीति की  उपज है।  शिव कि इस महिमा से उनके विरोधियों में बौखलाहट उपजेगी भी लोग उन्हें मंदिर नहीं मठ  का मठाधीश भी बतायेंगें और पुजारी कि जगह पंडा कहकर भी पुकारेंगे लेकिन काम तो उन्हें करना ही है और पुजारी बनकर करें या  किसी भी तरह उनका भगवान् उनसे खुश रहना चाहिए , भगवान् ने भी उन पर भरोसा जताया है सेवा का फिर अवसर मुहैय्या करवाया है तो उनके गुण और समपर्पण को देख कर ही।

शिवराजसिंह इस मध्य -मंदिर  के बड़े पुजारी हैं आने वाले दिनों में वे सह पुजारियों की नियुक्ति करेंगें तो उम्मीद कि जाना चाहिए मंदिर का सुशासन इस तरह का होगा कि कोई भी सह-पुजारी भगवान् के चढ़ावे में कोई हेरफेर नहीं कर सकेगा , जन भगवान् का चढ़ावा , भोग ,उपहार और गहने सब उन्हें सम्पूर्ण ईमान के भाव से अर्पण होंगें , देखना होगा कि किसने ऐसे हेरफेर किये हैं और उन्हें अब मॉयका नहीं मिले।  फिर भी ऐसा हुआ भगवान का विश्वास छीन जाने का का कारन तो होगा ही साथ ही भगवान् कि कुदृष्टि का भय भी।  इसलिए शिव के राज़ में हरि (जनता) की पूजा का अपना महत्व है और वह शुरू हो चूका है
सुरेन्द्र बंसल
इंदौर 

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