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Saturday, February 11, 2012

सिफर

3 seconds ago
कई दिनों से कोई
नहीं आया सपना,
फिर अभी अभी ही
किसी तरह बन गया
उम्मीद का नया सपना ,
मूरत कुछ आश्चर्य  सी 
लिए हुए अपने साथ
आँखों में समां गया
क्यों ???

जाना था टूट उसे अगर
तो नींद में खलल कर
क्यों दिखाई नई डगर
रास्ते टूट जाते हैं
मुद्दत के बाद मगर
जिन रास्तों से
गुजरा ही नहीं मैं ,
वे क्यों गए बिखर ?
सुरेन्द्र बंसल
११फ़र.१२ 

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