पटियाला हाउस की अदालत से गृहमंत्री और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को तो राहत मिल गयी लेकिन २ जी स्पेक्ट्रम घोटाले से जुड़े महतवपूर्ण मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह तय हो गया कि दाग तो पक्के हैं . पांच राज्यों में चुनाव का दौर चल रहा हे ऐसे में अदालत ने सुब्रमण्यम स्वामी की वह याचिका रद्द कर दी है जिसमें चिदम्बंरम को ए . राजा के साथ सह - अभियुक्त बनाये जाने की मांग थी तो यह सुकून सिर्फ कांग्रेस के भीतर का है कि वह एक और संकट से बच गई लेकिन ११ कंपनियों को १२२ लायसेंस बांटने के मामले से सरकार बरी नहीं हुई है.
2g पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पर्याप्त है यह तय करने के लिए कि 'पहले आओ पहले पाओ ' के आधार पर लायसेंसे बात देने की प्रक्रिया एक बड़े घोटाले का आधार है. जिसे बड़ी बड़ी कंपनिया समझ रही थी कि 2g स्पेक्ट्रम लायसेंस कबाड़ कर वे हज़ारों करोड़ मिनटों में कमा सकते है वह केंद्र में बैठी सरकार और उनके धुरंधर महारथी क्यों नहीं समझ सके. केंद्र के सबसे सिपहसलार कपिल सिब्बल अब भी सीना तान कर खड़े हैं यह जतलाने के लिए कि घोटाला हुआ ही नहीं है और चिदंबरम निर्दोष हैं . सिब्बल बड़े वकील हैं जानकार है और समझदार हैं इसलिए लगता है कांग्रेस उनको आगे कर अपना बचाव मज़बूत करना चाहती है लेकिन कपिल सिब्बल को एक वकील की तरह लगता है कि उनकी ड्यूटी सिर्फ पार्टी को बचाने के लिए लगाईं गयी है इसलिए वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी यह मानने को तैयार नहीं है कि कही कुछ गड़बड़ हुई है .
अदालत का फैसला साफ़ है कि लायसेंस वितरण में नीतिगत प्रक्रियाओं का पालन नहीं हुआ है . यही संकेत हैं कि 2g स्पेक्ट्रम में बड़ा घोटाला हुआ है जो करीब पौने दो लाख करोड़ का है . इतनी रकम सरकार के खजाने आ सकती थी और यह नहीं आ सकी है तो कोई न कोई तो इसका जिम्मेदार है यह जिम्मेदारी ए.राजा या चिदंबरम पर ही नहीं पूरी सरकार पर आती है , आखिर सरकार को बड़ी चोट लग रही है तो क्यों ? यह तो समझा और विचारा जा सकता था लेकिन क्या ए राजा तक ही मामला रहा और पूरी सरकार से छिपा रहा ऐसा नहीं हो सकता आखिर घोटाले के तत्व जिम्मेदार तत्वों केच्साथ मिले रहे इसलिए उन कंपनियों का काम बन गया जो हज़ारों कमा कर अब सरकार को कोस रही है कि भारत में निवेश का अच्छा माहौल नहीं है.
जाहिर है घोटाले हुए हैं और उसके पीछे बड़े भ्रष्टाचार कि कहानी छुपी हुई है फिर कोई कैसे माने कि कुछ हुआ ही नहीं है . कांग्रेस अब जश्न मना रही है इस बात का कि चिदंबरम बच गए हैं चुनाव में एक बड़ा बवाल खड़ा होने से बच गया पर इतने बड़े घोटाले का जिम्मेदार मंत्री जब जेल में हो तो कोई कैसे बच सकता है यह जिम्मेदारी तो पूरी सरकार की है , आगे और कहानिया आयेंगी पर दाग तो स्थायी हो गए हैं कि १२२ लायसेंस बांटने की गड़बड़ी इस सरकार ने की है, इस दाग को अब छुडाया नहीं जा सकता दुःख इस बात का होना चाहिए कि इस घोटाले में रिलायंस ,बिरला और टाटा की कंपनिया भी है , बड़ी कंपनिया जो बड़ी हो गयी है क्या उसके नेपथ्य में घोटाले ही होते हैं जिनसे वे फलफुलकर बड़ी हो जाती हैं यह सवाल कौंधने लगा है क्योंकि ये दाग पक्के है जो सरकार के साथ इन कंपनियों पर भी लगे हैं
सुरेन्द्र बंसल
सुरेन्द्र बंसल
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