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Tuesday, March 27, 2012

maa

बेखबर था इस बात से
माँ,
होली से पांच दिनों का रंग
इतना बुरा होगा ,
तेरे आँचल में खेलते हुए
बीते दिन हो जायेंगें भंग,
तूने ही तो कहा था जा
वृन्दावन बिहारीलाल ,
उसके चरणों में तूने अपना
शगुन भी भेजा था
माँ ,
यह कैसा अर्पण
और समपर्ण है
माँ ,
जिंदगी भर चाहत
और भर ममता से
रखा था साथ मुझको
माँ,
अपनी नज़रों से दूर
फिर क्यों जाने दिया ,
तेरे आंसुओं से शक
मुझे हुआ जरुर था
माँ,
कहीं तू न जाए थक
इस तरह मेरे पिछे
जाते जाते भी
तुझे मेरा ख्याल था शायद
मेरा नियम तुझे याद था
माँ,
इसलिए तूने
मुझे जाने भी दिया
बांकेबिहारी का दर्शन
पाने भी दिया
इंतज़ार में मेरे कष्ट
उठाती रही तू
माँ,
यम को तब तक पास
आने न दिया
पर क्यों मुझे
अपने चरणों में
बैठे रहने का फ़र्ज़
निभाने न दिया
माँ,
देख यह घर कितना
सुना सुना हो गया है
माँ,
तुझे साथ लाना था घर
लेकिन कुदरत ने तेरी तस्वीर
साथ भेज दी है
माँ,
तकदीर में जब तस्वीर होती है
माँ,
तेरे लिए मेरी आत्मा भी रोती है
माँ"..............
.........................
............................................
26march 12 

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