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Sunday, August 4, 2013

कई दुर्गाओं को अवतरित होना है

वह भवानी है इसलिए उसने राज़ से टक्कर ली है  नाम भी दुर्गा और शक्ति भी.यथा  नाम तथा काम की चरिथार्थक आएएस अफसर दुर्गा शक्ति नागदेव। यूपी की इस महिला अधिकारी को राज्याधिकारियों के मंसूबे  तो पता होंगें , यह भी पता होगा कि यूपी के राजनेता कितने दबंगई हैं फिर भी दुर्गा ने भवानी रूप धारण किया और अपने काम को नीतिगत ढंग से अंजाम दिया।  नीति दरअसल दो सम्मत व्याख्या करती है। एक राज़  सम्मत दूसरा कानून सम्मत।  अलबत्ता राज़ सम्मत  नीति किसी भी बाध्यता में कहीं न कहीं कानून से अलग नहीं हो सकती , उसकी अवहेलना नहीं कर सकती।  दुर्गा का निलंबन दरअसल राज सम्मत नीति और कानून सम्मत नीति का टकराव है। 

दुर्गा शक्ति ने जो किया वह कानून सम्मत है। किसी भी अधिकारी का प्रथम कर्तव्य कानून सम्मत नीति से कार्य करना है दुर्गा ने वही किया है। अतिक्रमित जमीन पर मस्जिद का निर्माण कानून सम्मत प्रक्रिया नहीं है यह तो इस निलंबन कांड का एक हिस्सा है इसका पर्दे के पीछे का हिस्सा भी जाहिर हुआ है बताया जा  रहा है सारी साज़िश के पीछे खनन माफिया है जिसके लिए दुर्गा एक चुनौती बनी हुई थी और इससे निबटने के लिए साम्प्रदायिकता को आधार बनाया गया। यह है तो यह नीति राज़ सम्मत भी नहीं है ,यह राजनेताओं का राज्य से दुराचार है. 

आज राज्य व्यवसाय  का आधार बनते जा रहे हैं राजनेता अब कॉर्पोरेट नेता हो गए हैं सारे घोटाले और करतूतें  राजनैतिक फायदों के साथ व्यावसायिक फायदों से जुडी होती है ,इसके लिए विधि को तोडा जाता है , नया बनाया जाता है रोका  जाता है और खंडित किया जाता है, सबके मूल में बेशुमार पैसा है ,लालच है और धनराज होने की कामना है। यह कॉर्पोरेट राजनीति और कॉर्पोरेट राज़ है इसमे लोकराज़ भी नहीं है और लोकलाज भी नहीं है।  इन सबसे परे जो हो रहा है चल रहा है सब अनीति है। कौन रोकेगा उसे और किस तरह रोकेगा।  कोई दुर्गा कहीं उठ खड़ी होती है तो उसे राजनैतिक गन्दगी दरिंदगी का शिकार होना पड़ता है.अब कोई  तिलक, पटेल या गाँधी नहीं है जो इन नेताओं की राजनीति की पाठशाला ले सके.

दरअसल राज़सम्मत नीति का स्वरुप बदल गया है  जो राज़ को मान दे वह राज़ सम्मत नीति होती है लेकिन मान राज़ नेता का बढ़  रहा है जो अहम और अहंकार के रूप में दिख भी रहा है।  यूपी के मंत्री नरेन्द्र भाटी ने इसे बेहूदगी से प्रदर्शित भी किया है और एक महिला को अपशब्दों से अपमानित किया है यह राज़धिकारियों का अनैतिक तंत्र है जो सिर्फ अपने अहम् ,अहंकार और बडबोलेपन के साथ राज्य का और जनता का शोषण कर रहा है। 

दुर्गा ने जो किया वह कानून सम्मत है लेकिन देश में ऐसी दुर्गाएं कितनी है कानून सम्मत काम निडरता से करने वाली दुर्गाएं और भैरवों की भी कमी है ,हर अफसर इतना ख़यालात कहाँ रखता है।  ज्यदातर अफसर आज राज़ के अनैतिक धंधे में बराबर के पार्टनर हैं लोकतंत्र मजबूत है लेकिन राजतंत्र भी उतना ही मजबूत है अपने अनैतिक इरादों में इसके लिए और ऐसे  लोग पार्टनर बनके  राज्य के साथ धोखा कर रहे हैं ,

देश में न अखिलेश एक है और न ही नरेन्द्र भाटी  अकेले है ऐसे  नेताओं से 
देश पटा  पड़ा है राज्य से लेकर केंद्र तक इन धुरंधरों की कमी नहीं है लेकिन अब भी कई दुर्गाओं  को अवतरित होना है, भैरवों को चौकस होना है तब ही राज़  राज़सम्मत और कानून सम्मत हो सकेगा। 

सुरेन्द्र बंसल 
surendra.bansal77@gmail.com

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