ये पंक्तियाँ जब मै लिख रहा हूँ , संसद में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का भाषण पूरी लज्ज़त के साथ ख़त्म हो चुका है. बराक ओबामा ने बहुत सी बातें कही . उन्होंने भारत को विश्व शक्ति बताया , भारत को सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य बनाने के लिए खुला समर्थन दिया , उन्होंने भारत की सराहना ही नहीं की साथ निभाने का वचन भी दिया , पकिस्तान को चेताने की हिम्मत की कि वह आतंकवाद का सफाया करें . उन्होंने महात्मा गाँधी ,स्वामी विवेकानंद,डा. भीमराव आंबेडकरऔर गुरूवर रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसी महान भारतीयों को याद किया और भारत की इस बात के लिए सराहना की कि भारत ने वह काम कुछ दशकों में कर दिखाया है जो सदियों में पूरा होता है. जाहिर है बराक बहुत विश्वाश में और पूरे जज्बे से बोले .
बराक ओबामा का जो कथन इन सबसे अलग और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है वह यह कि 'एक और उदाहरण भारत और अमेरिका सहयोग का ये होगा कि ''हम दिखायेंगे कि लोकतंत्र आम आदमी के लिए काम करता है, ये राष्ट्रपतियों ,मंत्रियों के बीच की साझेदारी नहीं हो सकती ये लोगों के बीच होना चाहिए .अमेरिकी राष्ट्रपति का यह कथन इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह बात एक बड़े लोकतान्त्रिक देश अमेरिका के राष्ट्रपति ने दूसरे बड़े लोकतान्त्रिक देश भारत की संसद में तमाम सांसदों , मंत्रियों , नेताओं और सरकार के बीच कही है.
दरअसल साझेदारी लोगों के बीच होना चाहिए , यही सबसे विश्वास ,कार्य का समर्थन और राष्ट्र का हित है. अब तक सरकारें लोकतान्त्रिक देशों में जिस तरह चल रही हैं वहाँ लोकतंत्र के बावजूद जनता की भागेदारी या साझेदारी कहीं नहीं है.जहाँ तक भारत का सवाल है यहाँ अब भी ब्रिटिश हुकूमत जैसा शासन बरकरार है , आम चुनाव के बाद जनता सरकार कि सेवक हो जाती है और सरकार के नुमाइंदे राजा बन के बैठ जाते हैं . सरकार कही से राष्ट्र की और राष्ट्र की जनता की सेवक नज़र नहीं आती .
बराक ओबामा के इस खुले विचार का समर्थन किया जाना चाहिए और सरकारों को इस पर विचार करना चाहिए कि देश के भीतर भी जनता सरकार में साझेदारी से काम करती नज़र आयें. फिर यह शुभ होते देर नहीं लगेगी कि दो राष्ट्रों की जनता के बीच साझेदारी का खुलापन और विश्वास भी नज़र आने लगें.
सुरेंद्र बंसल
surendrabansalind@hotmail.com

No comments:
Post a Comment
thanks for coming on my blog