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Thursday, June 9, 2011

suryoday

सूरज जब उदय होता है
तो निस्तेज , असहाय सा पड़ा मानव भी उठ बैठता है,
वह क्रियाशील होकर दिन की गति की ओर तेजी से चलने लगता है,
मानों किसी मशीन को ऊर्जा मिल गयी हो .
यह "सूर्योदय" का चमत्कार है
जो किसी और अविष्कार से संभव नहीं है .
जो इस उष्मा को जितना पाता है ,गतिमान होता है
वह सफलता प्राप्ति के उतना नज़दीक होता है ,
इसलिए सूर्योदय पूजनीय है ,
वंदन स्वरुप है !
सुरेन्द्र बंसल,
17march03 /11am

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