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Sunday, October 16, 2011

EDITORIAL


कूटनीति से चल रही है राजनीति 
भ्रष्टाचार और सुशासन को लेकर भाजपा नेता लालकृष्ण आडवानी की यात्रा चल रही है और उधर अदालत ने जमीन घोटाले , भ्रष्टाचार के आरोप में कर्नाटक  के विवादित नेता एस येदिउरप्पा को जेल भेज दिया है .वहीँ कांग्रेस की तेज़ लाल तल्ख़ मिर्च दिग्विजयसिंह की चिठ्ठी का असर यूँ हुआ कि अन्ना हजारे ने कांग्रेस के साथ भाजपा को भी भ्रष्टाचार के लिए बराबर का दर्ज़ा  दे दिया .  प्रशांत  भूषण की अदालत परिसर में पिटाई ने प्रशांत को अन्ना टीम में विवादित कर दिया. भ्रष्टाचार अभी गला नहीं है लेकिन भ्रष्टाचार ने इस आन्दोलन को गलाना शुरू कर दिया है . अन्ना मौन पर है तो ये सवाल ज्यादा उभर रहा है कि क्या जन लोकपाल के पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ चले हर आन्दोलन को एक कुटनीतिक ढंग से दबा दिया जायेग . फिलवक्त यही लगता है .

हालांकि येदिउरप्पा को जेल भेजने का फैसला अदालत का है लेकिन इससे भाजपा पर हमले और खासकर आडवानी की यात्रा की उपयोगिता पर सवाल खड़े कर दिए गए हैं . पूछा जा रहा है कर्नाटक में भाजपा भी भ्रष्ट नेता को बचाती रही है इसका कोई तर्कसंगत जवाब भाजपा के पास नहीं है .दिग्गी राजा की चिठ्ठी ने इतना असर जरुर बताया कि अन्ना हजारे को वह बोलना पड़ा जो उन्होंने अब तक नहीं कहा था . अन्ना हजारे ने यदि भाजपा को भी भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस के बराबर दोषी बताया है तो यह दिग्विजयसिंह की कुटनीतिक चाल का भंवर है जिसमे अन्ना  न चाह कर भी फंस गए और दिग्विजयसिंह ने कांग्रेस के शब्द अन्ना के मुंह में डाल दिए . हालाँकि कांग्रेस प्रवक्क्ता जनार्दन द्विवेदी ने दिग्विजयसिंह के पत्र पर अनिच्छा जाहिर कर इसे अनुपयुक्त बताया था  फिर भी इससे कांग्रेस को लाभ और भाजपा तथा अन्ना  टीम दोनों को नुकसान हुआ है .

श्री राम सेना ने प्रशांत भूषण की जो पिटाई की इसकी खुफिया जांच हो तो शायद यह तथ्य सामने आये  कि इस पिटाई के पीछे कोई साजिश है जिसमें श्री राम सेना हथियार बनी हैं . प्रशांत भूषण को अदालतपरिसर  में उनके दफ्तर में  जाकर पीटना कोई सीधा और सरल बात नहीं  है हो सकता है यह सुनियोजित काम हो . इसलिए भी कि प्रशांत भूषण के कश्मीर के सम्बन्ध में बयान देने के कई दिनों बाद यह हिंसक प्रतिक्रिया हुई है . हिंसा एक उग्र स्वभाव है जो तत्काल रिएक्ट करती है . श्री राम सेना को यदि प्रशांत भूषण को पीटना था तो वह उन्हें कहीं भी और जल्दी पिट सकते थे लेकिन वे योजनानुसार पिटे  गए इसका मतलब है कोई है जो श्री राम सेना को अपना हथियार बबन रहा है .

प्रशांत भूषण की पिटाई से अन्ना के विरोधियों को फायदा पहुंचा है . अन्ना टीम में भीतर ही भीतर मतभेद उभर गए . जो अन्ना अब तक प्रशांत भूषण के बयान पर चुप्पी लगाए थे उन्हें कश्मीर पर अपना रुख स्पष्ट करना पड़ा . इस मामले पर अन्ना पहले और तत्काल भी बोल सकते थे लेकिन इस गंभीर मसले पर उन्होंने देर की. अगर जल्दी बोल लेते और प्रशांत भूषण को समझाईस दे लेते तो शायद प्रशांत भूषण पिटाई से बच जाते , अन्ना टीम भी विवाद और फूट से बच जाती .

बहरहाल देश में राजनीति कूटनीति से चल रही है और कुटिल चाले चली जा रही है इसलिए अपनी आखरी लोकयात्रा पर निकले आडवानी का रथ भी खिसक खिसक कर चल रहा है .कूटनीति एक तरह की कुटिलता है राजनीति इस तरह चलती रही तो किसी तरह का जनांदोलन कभी सफल नहीं हो सकेगा ..
सुरेन्द्र बंसल

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