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Sunday, July 8, 2012

सयानी सीबीआई क्यों गच्चा खा गयी


सुप्रीम कोर्ट ने मायावती के मामले में तो टूक फैसला दिया है , यह फैसला मायावती को कोई क्लीन चिट नहीं देता लेकिन सीबीआई के कामकाज और तौर तरीकों पर गहरे प्रश्नचिंह लगाता है. मायावती प्रसन्न है उनके समर्थकों की दी सम्पति जैसे मान्य हो गयी लेकिन कोर्ट ने कहा है उनके आदेश में आय से अधिक सम्पति का कोई मामला था ही नहीं जिस पर मामला दर्ज करने का आदेश दिया हो . दरअसल कोर्ट ने ताज कोरिडोर मामले पर प्राथमिकी दर्ज करने को कहा था और सीबी आई ने आय से ज्यादा सम्पति का मामला दर्ज कर लिया .

जाहिर है सीबीआई मनमाने ढंग से काम करने का आदी हो गया है .यह हद है कि देश के सबसे बड़े कोर्ट के आदेश को भी समझे बिना या उसके भिन्न अर्थ लगा कर सीबीआई अपने ढंग से केस तैयार कर लेती है . सीबीआई पर पहले से यह तोहमत है कि वह दवाब में और राजनैतिक उदेश्यों के अनुसार काम करती है .लेकिन कोर्ट के आदेश को समझे बिना उसे आधार बनाकर किसी मामले को दर्ज कर लेना ऐसी ना समझी है जो राष्ट्र के बड़े महकमे द्वारा की गयी है . वह भी ऐसा महकमा जिसकी जिम्मेदारी राष्ट्र को व्यवस्थित और नियमानुकूल चलने देने के लिए निगरानी करने और जिम्मेदार लोगो को दण्डित करवाने की तैयारी करने की है . अदालत ने जैसी लताड़ सीबीआई को लगायी है उससे इस बड़े विभाग के अर्थ पर ही सवालिया लग गया है . राजनीति तौर पर काम करने की पहले ही सीबीआई को बदनामी मिली हुई है अब जब सुप्रीम कोर्ट ने मायावती के मामले में फैसला दे दिया है इससे सीबीआई के लिए शर्मिंदगी के अलावा कुछ नहीं बचा है .

ताज कोरिडोर मामले में मायावती भले न बची हो लेकिन वह अब आय से ज्यादा सम्पति एकत्र करने की बदनामी से साफ़ बच गयी है , आयकर का न्यायधिकरण जब यह कह चूका था कि उनकी सम्पति आय से ज्यादा नहीं है और यह उनके समर्थकों की दी हुई है तो सीबीआई किस तरह इस मामले को इस अंजाम तक ले गयी . बसपा के लोग जश्न माना रहे है , आखिर क्यों न मनाये जश्न. उनकी नेता को इससे मसले से कई लाभ एक साथ हुए हैं . एक- अब आय से ज्यादा सम्पति का मामला लगभग ख़त्म , दो - अब तक लग रहे कई गंभीर आरोपों से भी कुछ छुटकारा तीन - कम से कम सीबीआई अब कुछ लचीला और नरम रवैया रखेगी चार- इस फैसले का उपयोग अपनी छवि साफ़ बताने के लिए उपयोग किया जा सकेगा . इस तरह मायवती बहुत से शिकंजों से स्वत:बाहर आती दिखायी दे रही है .

मायावती के मामले में सीबीआई का भले राजनैतिक इस्तेमाल नहीं हुआ हो लेकिन सीबीआई ने दिखा दिया कि उसके यहाँ बहुत सी ऐसी लेतलालियाँ हैं जो सीबीआई के कामकाज को पक्षपातों से भरा दिखलाती हैं .जहाँ सरकारी हुक्मरानों के बड़े अफसर बैठते हों वहां इस तरह की गलतियां तात्कालिक नहीं होती साजिश और जानकर की गयी भी हो सकती है. सीबीआई इसलिए बदनाम भी है और उसे स्वायत्त करने की मांग भी इन्हीं कारणों से जबतब उठती रही है. देखना है इस मामले को महज़ एक गलती की तरह लिया जाता है या इस भद के लिए जिम्मेदार लोगों पर कोई कारवाई भी होगी ? आखिर सयानी सीबीआई कैसे गच्चा खा गयी और उससे यह गलती क्यों हुई ?


सुरेन्द्र बंसल


surendra.bansal77@gmail.com


1 comment:

  1. aj pradesh bjp mukhlaya mai rastrepate kai ummedwar shri sagma kee patrakar varta thee varta ka sanchalan pradesh bjp adhyax shri prabhat jha nai kyia pratepaksh nata sushma swaraj nai sambodhit kiya kintu shri jah nai rastepatee vishya ko laker parkaro seekh dadi sabk sap sungh gaya aur koi nai verodh nahi kaya kaha gaya loktantra 4th stambh durbhgaya sai mai bhee maujood tha. matara 6logo kai prashn poochnai kai bad patrkar varta essara kaR SAMPT KAR DEE GAI BHAVE RASHTRPATI SAI SEDHA SAMVAD MEDIA KAR NAHI SAKI
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thanks for coming on my blog