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Saturday, August 18, 2012

नीरो की बांसुरी दिल्ली में नहीं बजेगी , जागो पीएम् साहब ...



तीन घोटाले और तीन लाख करोड़ रूपए यह कोई बच्चों को बहलाने का झुनझुना नहीं है कि आप इसे मामूली में उड़ा दें . श्री प्रकाश जायसवाल  जिस तरह प्रवचन की मुद्रा में मीडिया से बात कर रहे थे लगता था वह भारतीय मीडिया को बचकाना समझते हैं जिसे अपने तर्कों के झुनझुने से  बहला लेंगें. कैग का काम उन अनियमितताओं और गलतियों को परखना  और उसकी समीक्षात्मक व्याख्या, विश्लेषण करना है सो उसने किया है . अब सरकार जिसके भीतर और बाहर व्यवस्था के भिन्न भिन्न गठित संस्थाएं  है वे कोई निजी कृत्य नहीं कर रहीं  हैं और न ही वे मनमानी चलाने और लोकतान्त्रिक सरकार को चुनौती देने का उपक्रम है . लेकिन सरकार के प्रतिनिधि कह रहे हैं कैग की गणनाएं गुमराह करने वाली और गलत है और लगे हाथ उसे चेता भी दिया है कि कैग अपने दायरे को लांघ रही है .

क्या महालेखानियन्त्रक  का काम इतना गुमराह करने वाला हो सकता है कि कोयले के खदानों की आवंटन प्रक्रियाओं को भी न समझ सके . कैग ने जब कहा है कि ५७ ब्लोक के आवंटन में प्रक्रिया का नियमानुकूल पालन नहीं हुआ है तो यह बहुत ही सिम्पल और सीधी व्याख्या है लेकिन इसके विश्लेषण से मालूम पड़ता है कि इस चूक से जो जानकार की गयी होगी उससे देश का एक लाख ८६ हज़ार करोड़ रूपया निजी पावर कम्पनियों को सीधे मुनाफ़ा दे गया है तो चौकना लाज़मी है और पड़ताल भी जरुरी है .लेकिन सरकार झुनझुना बजा रही है जैसे रोम जल रहा है और नीरो बांसुरी बजा रहा है . 

सरकार कि यह झुन्झुनाई बांसुरी इतना झकझोर रही है कि आज रोज़ रोज़ बड़े घोटालों की ख़बरों से जनता का रोम -रोम  जल रहा है ...लोग हतप्रभ हैं कि उनका पैसा उनके देश के काम नहीं आ रहा है  उनके चुने हुए चंद लोगों के हाथों ही लुटाया जा रहा है .कोयले में १.८६ लाख करोड़ . विमानन में ८८.३३  हज़ार करोड़ और पॉवर में २९ हज़ार करोड़  के बाद   २ जी स्पेक्ट्रम और कामन वेल्थ गेम्स को इन घोटालों के आगे भूल जाना बेहतर है .   2जी स्पेक्ट्रम में १.७६ लाख करोड़ ,कामन वेल्थ में ७० हज़ार करोड़ , तेलगी स्टेम्प में २० हज़ार करोड़ , सत्यम कंप्यूटर  में १४ हज़ार करोड़, चारा घोटाले में ९०० करोड़ के अलावा हवाला,आय पी एल,स्टोक मार्केट स्केम घोटालों  की ऐसी लम्बी फेहरिस्त  है जो सरकार की नज़रों में बेबुनियाद है या कोई ख़ास बात नहीं है . देश से ज्यादा पैसा देश के मलाईदारों के पास जा रहा है . 

ये मलाईदार कौन है , टाटा, अम्बानी,जिंदल जैसे तमाम लोग जो देश की अर्थ व्यवस्था के बड़े हिस्सेदार माने जाते हैं और इज्ज़तदार हैं , इनके  पैसे से हो रहे विकास का आम आदमी कर्ज़दार है लेकिन अब क्या ये ही  लोग देश को और देश के लोगों को चूस रहे हैं ऐसा जो आ रहा है ख़बरों  में दिख रहा है और संवैधानिक संस्थाओं  के सवालों के भीतर दिखाई दे रहा है वह देश के नामचीन बड़े लोगों को नज़रों से झुका रहा है इसलिए यह वक्त शर्म करने का है . बढता हुआ बरगद ऊँचा और अच्छा दिखाई देता है लेकिन वह आसपास की जमीं की उपज खा जाता है . आज देश में यही हो रहा है ऊँचे लोग देश को खाने में लगे हैं और  बेईमानी से नीचा काम कर रहे हैं . 

बड़े लोगों  की बेईमानी में भी ईमान होता है वे ईमान के रास्ते बेईमानी का रास्ता छुपे छुपे  पार कर लेते हैं और कुछ पता ही नहीं चलता , अपने लिहाज़ से सब कुछ तैयार करवा लेते हैं बदलवा देते है और साफ़ चट दिखाई देते हैं  सरकार के नुमाईन्दे इनके दलाल की तरह काम कर रहे होते हैं आज देश इन्हीं दलालों के हाथों में है कौन पकड़ेगा इन्हें और कैसे पकड़ेगा , जब सारी बेईमानी विधि से की जाए चाहे वह वैधानिक न हो पर बचे रहने का रास्ता बना देती है .

श्रीप्रकाश जायसवाल ने जता दिया है कि कुछ नहीं है सब गुमराह की  बातें है तो मान लो अब कुछ होना नहीं है जहाँ तक दलाली बंट सकती है बंट जायेगी और सब चुप हो जायेंगें . विपक्ष से भी उम्मीद ज्यादा मत करिए . साफ़ खरे दिखाई देने वाले प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह से एक सवाल तो फिर भी है कि यदि आपको कुछ गलत दीख रहा है तो आप सीट पर क्यों बने हुए हैं ... लालबहादुर शस्त्री ही क्यों इस समय याद किये जाते हैं जो महज एक रेल दुर्घटना पर पद छोड़ देते हैं यहाँ खरबों के घोटालों की  घटना पर भी आप बने रहते है तो संशय तोडिये और अपनी प्रतिष्ठा को स्थापित रखने के लिए ही यह तथ्य बता दीजिये  कि घोटाले है ही नहीं . क्योंकि पीएम् साहब कैग के  पीएम् ( पोस्टमार्टम ) में आप भी हैं ....और जरुरी यही है कि नीरो की बांसुरी दिल्ली में नहीं बजेगी न जनता का रोम जलेगा  इसलिए जागो .....!!
surendra bansal

2 comments:

  1. देखिए अब हमें समय के साथ चलना होगा... मुझे लगता है कि भ्रष्टाचार तो देश से खत्म नहीं हो सकता.. इसलिए हमें भ्रष्टाचार में ईमानदारी तलाशनी होगी..आदमी नौकरी के लिए नेता अफसर को पैसे भी दे देता है, फिर भी उसकी नौकरी नहीं लगती। यानि नेताओं और अफसरों ने भ्रष्टाचार को भी भ्रष्ट कर दिया है। अगर इसमें ईमानदारी हो जाए तो भी जनता को कुछ राहत हो....

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