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Sunday, August 12, 2012

पूर्वोत्तर से पश्चिम साजिश की हवा



असम के नस्ली दंगों का असर फैलाव लेने लगा है . मुंबई जैसे अति व्यस्त शहर में शनिवार को हुई हिंसक घटना ने इसके चिंताजनक संकेत दे दिए हैं . जाहिर है नस्ली बैरभाव अब पूर्वोत्तर से चलकर पश्चिम की तरफ आता दिख रहा है . मुंबई में हिंसा के अभी तो यही अर्थ नज़र आ रहे हैं क्या कोकराझाड की प्रतिहिंसा की कोई  सुनियोजित  साज़िश है ?

मुंबई में जो घटा वह प्रतिहिंसा का ऐसा प्रतीक है जो साज़िश की ओर इशारा कर रहा है लगता है समाज विरोधी तत्व अपने गैर सामाजिक इरादों की योजना पर काम कर रहें हैं .आखिर असम की हिंसा का असर मुंबई में ही क्यों हुआ , यह बंगाल में होता तो समझ में आता लेकिन पूर्वोत्तर से हज़ारों किलोमीटर चल कर जो गुस्सा दिख रहा है वह किसी साज़िश की पूर्व तैयारी का रिहर्सल भी हो सकता  है. 

मुंबई के आज़ाद मैदान पर असम के मुद्दे पर हज़ारों लोगो का एकत्र होना यह दिखलाता है  कि आयोजक रज़ा अकेडमी ने नस्ली हिंसा के प्रतिरोध की आड़ में भावनाओं को भड़काने का सुनियोजित काम किया है . आखिर किसी भाषण की उत्तेजना इस कदर क्यों फैली कि लोग यकायक हिंसक हो गए ,आगजनी को उतारू हो गए .इससे ज्यादा यह कि लोगों ने उनकी व्यवस्था में लगी पुलिस को ही निशाना बनाया और उन्हें चुनचुन कर मारा .

दो लोगों की मौत और बीसियों के घायल होने  का जिम्मेदार कौन है, जो बुरी तरह घायल हुए है उसकी किन पर जिम्मेदारी है .यह पड़ताल ही नहीं उन्हें सज़ा सुनाने का वक़्त  है. सरकार यह नहीं कर सकी तो मुंबई  जैसा विशाल और देश की शान समझे जाने वाला शहर  आपसी वैमनस्य , कट्टर दुश्मनी और खुराफातियों की नित करतूतों की तरफ अग्रसर हो जाएगा . मीडिया भी घटना की निशाना बनी और उसे असम की घटना का दोषी बताकर लोगो को उकसाया गया .

मुंबई की आग उस तरफ भी इशारा करती है कि क्या कुछ ऐसे तत्व मुंबई में आगे बढ़ रहे हैं जो हिंसा के लिए तैयार हैं . इनमें  इतनी हिंसक भावनाएं क्यों बढ़ रही है , क्या तैयारी  है और कौन लोग इन्हें बढ़ावा दे रहे हैं . यह भी पड़ताल किया जाना चाहिए कि कोकरझाड की घटना को एक समुदाय विशेष में कौन लोग बढ़ा रहे हैं और  किस तरह भड़का रहें हैं . समय रहते महाराष्ट्र शासन को सचेत होना चाहिए यह एक खतरनाक  तैयारी का संकेत है .इसका पूर्वोत्तर से पश्चिम  में आना आग में घी का ऐसा काम करना है जिसकी नीयत सामाजिक भाव और आपसी सौहाद्रता को भस्म करना है .इसे सिर्फ साजिश की हवा ही कहा जा सकता है जो पश्चिम में मुंबई तक आ गयी है .

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