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Saturday, January 12, 2013

फ्रीज़ से बाहर निकलों सरकार !


सेना के जवान का सर कलम कर ले गए अभी सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है आप और हम इंतज़ार करें और धीरज रखें . हमारी सरकार बेहद ठंडी है और उसे गर्म होने में समय लगता है , खून  हमारा  कितना ही खौले  जब तक उबाल सरकार में नहीं आएगा  कोई जवाब प्रतिकार सामने नहीं आ सकता . किसी ने फेसबुक पर मुझसे कहा हम क्या कर सकते हैं फ़ौज को हुक्म तो नहीं दे सकते . कुछ मायनों में यह सही है , फौज गुस्से में है ,उसका खून खौल रहा है सैनिक उपवास अनशन पर  हैं वे बदला चाहते हैं पर क्या करें उन्हें भी सरकार का ही हुक्म मानना है . 

लोकतंत्र हमारा इस ठण्ड में भी फ्रीज़ में बैठा है रूम  टेम्प्रेचर पर आने में उसे वक्त लगेगा तब तक उसकी सख्ती बन पाती है या नहीं , बनती भी है तो कितनी किस तरह की बनती है या सख्त होते रवैय्ये पर कहीं अमेरिका का हथोडा पड़  गया तो
सारी  सख्ती टूट कर बिखर जायेगी  हालांकि रक्षा मंत्री एके अंटोनी कह रहे है लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है लेकिन उन्होंने यह खुलासा नहीं किया कि किस तरह  का निर्णय लेने जा रहे हैं .हम उम्मीद करें वे भारत के स्वाभिमान को जीवित रखने वाला ही कदम चाह रहे होंगें , सीमा के हमारे प्रहरी हमारा स्वाभिमान है कोई उनका सर धड से काट के ले जाए तो इससे बड़ा अपराध कोई नहीं है और इससे बड़ा स्वाभिमान भी कोई नहीं हैं . सरकार  ने यह जरुर सोचा होगा , हालाँकि देर हो रही है अब तक  भारत का वह मुकुट न जाने कहाँ चले गया होगा . यदि हमारी सरकार कुछ नहीं कर पाई तो तमाम देश वासियों को अपराध बोध होगा ,आखिर  किस तरह वह अपना रोष जाहिर करें   .

पडोसी सच्चा और अच्छा होना चाहिए लेकिन नापाक इरादों का पडोसी हो तो जीना दूभर हो जाता है , पाकिस्तान ऐसा ही पडोसी है उसके मिजाज़ को दुरुस्त करना जरुरी है तभी आप चैन से रह सकते हैं , जघन्य अपराध से उसे बरी नहीं किया जा सकता उसे सज़ा मिलना ही चाहिए .पाकिस्तान बार बार नापाक हरकत  करता रहेगा और हम देखते रहेंगें तो हमारी बुजदिली है ऐसे पडोसी हमारी नाक में दम करे  उसके पहले इलाज़ जरुरी है .
मसला गंभीर है फिर भी हम शालीन होकर अंतरराष्ट्रीय दबाव में आ जाते हैं यह कूटनीति नहीं है कूटनीति वह  है  आप अपनी बात इस तरह रखें कि आपको अंतर्राष्ट्रीय समर्थन मिल जए   हमारी नीति फ़ैल हो  रही है किसी भी तरह से हम दबाव नहीं बना पाते हैं यह हमारी विदेश नीति का बेहद कमज़ोर पहलु है .
हमारे जय जवान सुधाकर सिंह और हेमराज यूँ ही शहीद नहीं हुए है और  वे(मरणोपरांत) उनका परिवार    किसी   पुरस्कार का  मोहताज़ भी नहीं है , इन परिवारों का सबसे बड़ा पुरस्कार तो ससम्मान  इन सपूतों का सर वापस स्वाभिमान से  लाना है , इसलिए फ्रीज़ से सरकार को बाहर निकलना जरुरी है वह भी तत्काल .
सुरेन्द्र बंसल   

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