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Sunday, January 6, 2013

मर्यादाओं के पुरुषोत्तम



देश चिंतित है किस तरह एक निरीह लड़की के साथ पैशाचिक बर्ताव किया जाता है और उसे तड़प तडप कर मरने के लए छोड़ दिया जाता है . ऐसी राक्षसी प्रवृत्ति के लोगो के साथ किस तरह का दांडिक न्याय होना चाहिए ,लेकिन हमारा देश चिंतकों ,विचारकों से ज्यादा नेताओं का देश है जो इन सबसे ऊपर हैं इसलिए हम देख रहे हैं कथित दामिनी पर हुए अत्याचार को हम मर्यादाओं से आंकलित कर रहे हैं , एकाएक देश में अनेक मर्यादा पुरषोत्तम अवतरित हो गए हैं।

लोग कैसी भावना से ग्रस्त हैं या किस तरह के विचार उनके मन में हैं यह उनके बयानों से प्रतित होने लगा है . दरअसल समय इस घटना से न्याय मिलने का है। जरुरत यही है कि  दोषी -अपराधी को इतना दंड मिले कि इस तरह के अपराध करने वाले की रूह काँप जाए। फिलवक्त देश यही मांग रहा है, वह अभी कोई नैतिक शिक्षा की तरफ नहीं देख रहा है इसलिए कि समयकाल सबसे पहले त्वरित न्याय प्रदान करने और सबक देने का है ,समूचा देश इसी मांग पर झुंझला रहा है आक्रोशित हो रहा है।  

लेकिन इस समय देश में कुछ सर्वथा ज्ञानी लोग उभर आयें हैं जो यह जता रहे हैं कि महिलाओं को किस तरह उठना ,बैठना ,पहनना चाहिए , भाई लोगों आपकी नीयत अच्छी है आप संस्कारित राष्ट्र चाहते हैं ,आप अपराध रोकना चाहते हैं आप सत्कर्म को बढावा देना चाहते हैं लेकिन समयकाल तो सोचो , कब किस तरह बोलना चाहिये  यह ज्ञान यदि  हमें नहीं है तो फिर किस बात के ज्ञानी हैं , देश की भावनाओं पर विचार करो भाई फिर कुछ जरुरत हो तो बोलो . क्यों अपने को चर्चा में रहने का मसाला बन रहे हो ,कुछ उंचाई पकड़ने के लिए फिजूल उछल रहे हो उंचाई चढाई  से मिलती है और उसके लिए सही रास्ते से चढ़ना होता है .

मर्यादा एक संस्कारित भाव है जिसका कोई लिंग नहीं है यह कोई पुरुष या स्त्री भी नहीं है ,यह एक आचरण है स्वयं को मर्यादित रहने का  भाव सीखाता है भगवान् श्रीराम ने इसी भाव का अध्यात्म दिया है , यह भाव संस्कार में होना चाहिए जो स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान है इसिलए वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये . उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि  स्त्रियों का मर्यादा भाव क्या है . यह सबके लिए समान सुसंस्कार है जो व्यक्ति के चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करता है और यही व्यक्ति की पहचान होती है .लेकिन इस समय से परे जाकर जो लोग मर्यादा की बात कर रहे है ऐसे नव अवतरित मर्यादाओं के पुरषोत्तम  स्वयं यह नहीं जान पा  रहे हैं कि  इस समय उनका आचरण किस तरह का होना चाहिए , फिलवक्त की मर्यादा यही है कि  सब देश की भवना के साथ एकजुट होकर उन पैशाचिक अपराधियों को सख्ततम सजा का पात्र बनाए  किसी छिछालेदारी से स्वयं को विवाद  का पात्र नहीं बनाएं।
सुरेन्द्र बंसल   

2 comments:

  1. झकझोर कर रख दिया है इस घटना ने..
    शायद बेटी दामिनी का बलिदान देश में लड़कियों की सुरक्षा की वजह बने।

    सख्त कानून बनना ही चाहिए, और उस पर सख्ती से अमल भी

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  2. jee mahendra bhai ,
    thanks for comong on blog

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thanks for coming on my blog