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Sunday, March 10, 2013

सवालों के मोल तौल



यह हैरत तो नहीं है लेकिन अजीब है कि  संवैधानिक संस्थाओं के भीतर ऐसे लोगो की घुसपैठ जारी है जो अपने हित के लिए रुख,रवैया और नियम को रुखसत करने की कोशिश करते है .ताज़ा मामला मप्र विधानसभा का है जहाँ सत्तारूढ़ दल के एक विधायक को एक सड़क निर्माण करने वाली कम्पनी ने प्रलोभन देकर घटिया निर्माण पर सवाल पूछने से रोकने की कोशिश की. और ख़ास यह है कि  विपक्षी दल के विधायक को सदन से अनुपस्थित रहने के लिए मना लिया गया. मामला नया है और संभवतः  मप्र  में पहला लेकिन तरीका पुराना है और आरोप है कि  विधानसभा से संसद तक सांसद और विधायकों के सवालों की खरीद फरोख्त होती रही है .

सत्ताधारी दल के विधायक ने मामला खोल दिया लेकिन विरोधी पक्ष जिस पर सरकार को घेरने और रास्ते पर चलने के लिए बाध्य करने का दायित्व है उनके विधायक के सेट हो जाने का दावा किया गया है . यह उलटबांसी है आखिर जिम्मेदारी और कर्तव्य जैसे शब्द महज शब्दकोष के अंग ही नहीं है उनके शाब्दिक अर्थ नैतिक मूल्यों को इंगित करते हैं .लेकिन जब ऐसे लोग जो जिम्मेदारी और कर्तव्य को परे रख कर सौदे करने लगते है और कार्यपालिका ,विधायिका को प्रभावित करते है वे अपनी अनैतिक नीति से राज़ को आहत करने के दोषी हैं . 

मामला एक सवाल का नहीं है, उस चलन का है जो बदस्तूर जारी है. नियम को धता बताने वाले लोग सक्रियता से काम कर रहे हैं इस सवाल से पहले भी और भी सवाल हुए होंगें जिन्हें रोका गया होगा, ख़रीदा गया होगा और राज्य को धता बताकर अपने कायदों से चलाने की कोशिश की गयी होगी . सरकार कभी क्या ऐसे सवालों के पूछने ,रुकने और मकसद की पड़ताल करती है . संवैधानिक संस्था के भीतर सांसदों और विधायकों के कार्य , संलिप्तता की मानिटरिंग क्यों नहीं होती. यूँ हर राजनैतिक दल को अपने सदस्य की मोनिटरिंग करना चाहिए ,सवालों के पीछे के मकसद यदि है तो उनकी पड़ताल की जाना चाहिए, उन्हें पार्टी की नीति के साथ नैतिकता और कर्तव्य पर भी ध्यान देना चाहिए . न जाने कितने सवालों के पीछे इस तरह की कहानी दोहराई  गयी होगी लेकिन यहाँ सब कुछ चलता है की तर्ज़ पर जानकर भी चलने दिया जाता है

कांग्रेस के विधायक पर जिन  सवाल पूछकर गायब रहने का आरोप है और जो सवाल पूछने के लिए नहीं बिक़े उन्हें परोक्ष मान कर राजनैतिक दलों को मान और दंड तय करना चाहिए . यह भी तय होना चाहिए कि  कोई सवाल पूछकर किस मकसद को पूरा कर रहा है स्वहित या राज्य हित . इसके लिए एक दांडिक प्रक्रिया निहायत जरुरी है।
सुरेन्द्र बंसल   

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