बंसल की रेल रुकने वाली है मामला गंभीर है इसलिए भी कि घूस खोरी का यह घूँसा सीबीआई ने लगाया है जिसकी चोट सीधे पवन बंसल को लग रही है . पवन बंसल ने कोई घूस नहीं ली है लेकिन सार्वजानिक जीवन में निकट संबंधियों का आचरण भी जोड़ कर देखा जाता है .यूँ घूस बरास्ता पत्नी ,पुत्र,भाई, भांजा और भतीजा आसानी से घर में प्रवेश करता है और इसी रिश्ते पर घूस के सौदे का सबसे ज्यादा विश्वास भी होता है इसलिए ये रिश्ते काफी अहम् है .
इन रिश्तों ने घूस खोरी में खास भूमिकाएँ हमेशा निभाई है यह दीगर है कि पवन बंसल भांजे की करतूत से फंसते नज़र आ रहे हैं .10 करोड़ की डील में 90 लाख रुपये का लेनदेन करते धराये जाना और मामले में 7 लोगों की गिरफ्तारी इस बात का संकेत है दिल्ली के साउथ ब्लोक और नार्थ ब्लोक में ऐसी गेंग काम कर रही है जो इन रिश्तों से सीधे गठजोड़ बनाये हुए है .भ्रष्टाचार के व्याप्त की यह प्रमाणित घटना है लेकिन ऐसे सैकड़ों अप्रमाणित मामले उच्च स्तर से निचले स्तर तक शासन- प्रशासन के भीतर की दिनचर्या है . दिल्ली के मंत्रालयों से पंचायतों तक किस पद की प्रतिष्ठाएं बिना बोली के संपन्न होती है ? पंचायतों में सरपंच पति और नगरीय निकायों में पार्षद पति का काम क्या होता है? क्या कभी किसी ने सोचा है विधायक प्रतिनिधि और सांसद प्रतिनिधि क्या काम कर रहे हैं ? पुलिस थाने क्या नहीं बिकते हैं ? कितने में बिकते है यह उसकी क्षेत्रवार आमदनी पर निर्भर होता है यही हाल ट्रांसपोर्ट और दूसरे सभी बड़े छोटे पदों का है जिलों के अहम् पद कलेक्टर भी यूँ ही नामांकित नहीं हो जाते है , फिर पदोन्नति ने तो दिखा ही दिया है उसकी कैसी और कितनी कीमत होती है .
इन सबसे ज्यादा ऐसे मामले हर राज्य, हर जिले और हर शासन में एकरूप होते है .दरअसल जो जैसा बलवान (पावर वाला) होता है वैसा काम कर लेता है लेकिन किस सरकार के भीतर इस तरह की घूसखोरी नहीं है . सीबीआई ने महज़ आँखे खोली है और दिखाया है वह यदि मजबूती से और निर्भय होकर काम करे तो रोज़ ही ऐसे मामलों का खुलासा कर सकती है वैसे सीबीआई में यह इच्छाशक्ति होना ही चाहिए . कोलगेट मामले में बदनाम हुई सीबीआई ने तुरत फुरत यह कर दिखाया है जिसके पहले शिकार अपरोक्ष रूप से पवन बंसल हैं . किसी भी राजनैतिक दल को इस मामले से ज्यादा खुश होने की जरुरत नहीं है क्योंकि हर दल के राज में व्यवस्थाएं इसी तरह के नाप तौल और मोल भाव से चल रही हैं यह सीबीआई को पता है और वह यदि इमानदारी से जुट गयी तो असंख्य राजनेता और अधिकारीं सीबीआई के अगले शिकार हो सकते हैं . सीबीआई को बस इतना करना है 20 साल में जो राजनेता और अधिकारी सड़क से महलों के स्वामी हो गए हैं उनकी पड़ताल कर ले .यह उपकार सीबीआई को राष्ट्र के लिए करना ही चाहिए . सीबीआई यदि शिकार पर गयी है तो उसे बड़े और ज्यादा शिकार करना ही चाहिए .
surendra.bansal77@gmail.com
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