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Wednesday, May 16, 2012

सम्बन्धों की खुशफहमी

 
सम्बन्धों की खुशफहमी में
नहीं रहना ऐ मेरे दोस्त ,
चलती जिन्दंगी में यहाँ
हर कोई अकेला है ,
तेरे आगे-पीछे , दांयें - बाएं
बहुतेरे  लोग हैं
पर सब मुसाफिर हैं यार ,
सब अपने लिए ही जी रहे
और चल रहे हैं ,
इसे कुछ फहमी में
खुश हो जाने का बहाना मत समझ ,
बस कुछ और जी लेने का
रास्ता बनाते चल ,
मंजिल देख तेरी कामयाबी का
रास्ता देख रही है ,
विश्वास देने वाले
बहुत मिल जायेंगें मगर,
पर यह अहसास तुम्हे
अपने अन्दर ही उत्सर्जित करना है ,
अगर तुम्हे मंजिल को पाना है ,
फिर कह रहा हूँ
सम्बन्धों की खुशफहमी में
नहीं रहना ऐ मेरे दोस्त ,
चलती जिन्दंगी में यहाँ
हर कोई अकेला है
 

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