वालमार्ट ने भारत में एफडीआई के प्रमोशन पर 125 करोड़ रुपये खर्च किये , यह लाबिंग पर किया गया वह खर्च है जो भारत में रिश्वत समझा जाता है .अमेरिका में इसे विधि का हिस्सा मानते हैं इसे हम अमेरिका में रिश्वत का विधिक स्वरुप भी कह सकते है और भारत में इसे खुली याने सफ़ेद रिश्वत खोरी कहा जाना चाहिए . वालमार्ट ने यह खर्च अपने वित्तीय आंकड़ों में दिखाए भी है और विवाद पर यह साफगोई भी दी है कि राजनेताओं और अफसरों पर इसे नहीं खर्च किया गया .
भारत में लाबिंग जैसी कोई चीज़ नहीं है फिर भी लाबिंग होती है , एनरान से वालमार्ट तक करोडो की लाबिंग की गयी लेकिन लाबिंग पूर्ण देशी स्तर पर भी होती रही है बहुत सी बड़ी कमपनिया अपने स्तर पर अपनी बात रखने ,मनवाने और बदलने के लिए लाबिंग करती रही है . संसद में प्रश्न के बदले पैसा भी इसी लाबिंग का हिस्सा है। कंपनिया मनोरंजन , ट्रेवल्स आदि पर जो खर्च करती है वह भी लोबिंग का ही हिस्सा है . अपना प्रोडक्ट बेचने , सौदा लेने ,सप्लाय करने पर जो खर्च करती है वह भी लाबिंग है , कंपनिया कई सीधे और सच्चे काम के लिए भी जो खर्च करती वह भी लाबिंग है .चुनाव चंदे में दिए जाने वाले पैसे को आप क्या कहेंगें ,यह भी एक तरह से लाबिंग है इसके बदले में चुनी गयी पार्टी को सरकार के भीतर और बाहर से भी उस दानदाता कंपनियों के फायदे के लिए काम करना होता है, नीति बदलना होती है , नए काम निकालना होते हैं . 2जी और कोल आवंटन में भी क्या हुआ ,उसमे जो नीतिगत बदलाव किया गया वह भी किसी के फायदे के लिया किया गया वह भी लाबिंग का ही हिस्सा है .
सीधा और सच्चा अर्थ है लोबिंग मतलब खुली रिश्वत . इसके सारे तत्व भ्रष्टता से मिलते हैं और भारत में इसे रिश्वत ही मान जाता है और यही सच भी है .
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