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Thursday, October 1, 2015

शिवराजसिंह चौहान अपने है उसी तरह जिस तरह वे पीड़ित और दुखी लोगों के लिए अपने वाले हैं. मुख्यमंत्री चौहान लगभग आज यही कुछ कह रहे थे एक मीडिया अदालत में.वे खबर में थे तो अपन बेखबर कैसे हो सकते हैं . वे बता रहे थे बहुत सी योजनाओ मसलन लाड़ली लक्ष्मी,कन्यादान,तीर्थ यात्रा जैसी अनेक योजनाओं के बुते वे उन लोगों के अपने हो गए हैं जो पीड़ित और दुखी हैं. सीएम चौहान की सोच अच्छी है वे पीड़ितों और दीनदुखियों के सन्दर्भ में रिश्ता खोज लेते हैं उन्हें अपना बनाने की कोशिश करते है . कोई कोशिश नाकाफी नहीं होती क्योंकि हर कोशिश एक खींचीं हुई लकीर से आगे बढ़ती हुई होती है. शिवराज कुछ कर रहे हैं लेकिन उनके प्रयास की यह तीसरी पारी है .मामा,चाचा ,बाबा,बेटा,जो भी कुछ आप हों सारे सम्बोधन एक रिश्ते का निर्माण करते हैं जिसे अपना कहते है.महोदय आपने अपना कह लिया अब कुछ अपनों को भी कह लेने दीजिये वे भी आपको अपना सीएम कहना चाहते हैं यह तभी संभव है अपनों के परिवार में जब व्यवस्थाओं की सुचारू प्रथा लागु हो जायेगी , इतने सालों में ऐसा कुछ दिख नही रहा है.प्रदेश अब भी मानता है लायक आदमी सीएम की कुर्सी पर है आपका अपनापन सरकारी महकमों मे भी नज़र आना चाहिए.पीड़ित को सहायता नही सहायक की ज्यादा जरुरत है आप अपने लोगों के सहायक बनिए तब ही अपनापन नज़र आएगा.लोगों को दबाव का प्रशासन नही अपनों का प्रशासन चाहिए ढर्रा बदलिये बदलाव लाइए प्रदेश का आमजन आज भी व्यवस्था में बदलाव की बाट जोह रहा है मेरे अपने मुख्यमंत्री जी .....
सुरेन्द्र बंसल

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